मुसलमानों ने पेश की मिसाल, हिंदू रीति रिवाज से किया 25 साल से रह रहे अनाथ व्यक्ति का अंतिम संस्कार

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असम के कामरूप जिले में मुस्लिम ग्रामीणों के एक समूह ने एक हिंदू व्यक्ति का अंतिम संस्कार किया जो अपने परिवार के साथ 25 सालों से अधिक समय तक एक मुस्लिम के घर पर ठहरा था. अधिकारियों ने इस बात की जानकारी दी. जिले में रांगिया के खांडिकर गांव में राजकुमार गौड़ (65) सद्दाम हुसैन के घर में रहते थे. दरअसल वह 1990 के दशक में पिता के गुजर जाने के बाद बेघर हो गये थे.

गांव के निवासी शुकुर अली ने बताया कि गौड़ की रविवार को मृत्यु हो गयी. हुसैन और उनके दोस्तों ने हिंदू रीति रिवाज से अंतिम संस्कार के लिए जरूरी वस्तुएं खरीदने के लिए आपस में पैसे इकट्ठे किये और एक पुरोहित का इंतजाम किया.

मैदुल इस्लाम ने कहा कि वे सभी शव को लेकर श्मशान घाट पहुंचे और उन्होंने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच गौड़ का दाह संस्कार किया. पड़ोस के गांव के उपेन दास ने इस काम उनकी मदद की. उसने कहा कि खांडिकर गांव के लोगों ने उससे गौड़ के अंतिम संस्कार के लिए जरूरी वस्तुएं बताने को कहा था.

 

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार प्रशासन इस अंतिम संस्कार का हिस्सा नहीं था लेकिन उसे पूरी घटना की जानकारी रही. हुसैन ने बताया कि गौड़ को अपने पिता के निधन के बाद रेलवे क्वार्टर खाली करना पड़ा. वह उसी क्वार्टर में रह रहे थे. उनके पिता उत्तर प्रदेश से असम आये थे.

 

उन्होंने कहा, ‘‘ मैंने अपने परिसर में राजकुमार के लिए एक घर बनवा दिया था ताकि वह अपने परिवार के साथ रह सकें.’’ एक अन्य व्यक्ति मुजीबर रहमान ने कहा कि गौड़ हिंदू बने रहे लेकिन वह मुसलमानों के धार्मिक और सामाजिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेते थे.

 

ऑल बीटीएडी माइनॉरिटी स्टूडेंट यूनियन के केंद्रीय सचिव नजरूल इस्लाम ने कहा, ‘‘ यह सद्भाव असम की शंकरदेब-अजान फकीर सांप्रदायिक सदभाव संस्कृति के अनुरूप है.’’

 

श्रीमंत शंकरदेव 16 वीं सदी के एक हिंदू बहुश्रुत और सामाजिक-धार्मिक सुधारक थे जबकि अजान फकीर बगदाद से आये मुस्लिम उपदेशक थे जो असम के शिवसागर आये और उन्होंने वहां लोगों को एकजुट किया.