आईएमएफ ने अपनी ताजा विश्व आर्थिक परिदृश्य में अनुमान जताया है कि भारत की वृद्धि दर 2019 में 6.1 % रहेगी और अगले साल 2020 में भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार आने के साथ इसकी वृद्धि दर 7.0 रहेगी।
World Bank-IMF annual meetings kicked off on a somber note, with the IMF downgrading global growth in 2019 to 3%, the slowest since the global financial crisis | @slaksterhttps://t.co/oQuJlCFfO4
— The Hindu (@the_hindu) October 16, 2019
आर्थिक मोर्चे पर मोदी सरकार के लिए एक और बुरी खबर आई है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भारत के विकास दर के अनुमान में गिरावट आई है।
आईएमएफ के अनुसार हमारे देश इस वर्ष आर्थिक वृद्धि की दर 6.1 % रहेगी। गौरतलब है कि आईएमएफ ने इस साल जुलाई में भारत की विकास दर 7 % रहने का आकड़ा जताया था, जबकि इसी वर्ष अप्रैल में यह अनुमान 7.3 फीसदी था। अगर बीते कुछ महीनों के आकड़े देखें तो भारत की आर्थिक तरक्की की रफतार में 1.2 % की कमी आ गई है।
“In India, growth softened in 2019 as corporate and environmental regulatory uncertainty…" IMF said in its biannual World Economic Outlook
(report by @Armilu)https://t.co/znp6BB8oj1
— Hindustan Times (@htTweets) October 16, 2019
अंतरराष्ट्रीय मु्द्रा कोष ने 2019 में वैश्विक आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान में भी कटौती की है। आईएमएफ ने वैश्विक वृद्धि दर का अनुमान घटाकर 3 % कर दिया है, जबकि पिछले साल दुनिया की विकास दर 3.8 फीसदी थी।
साल 2018 में भारत की वास्तविक वृद्धि दर 6.8 प्रतिशत रही थी। आईएमएफ ने अपनी ताजा विश्व आर्थिक परिदृश्य में अनुमान जताया है कि भारत की वृद्धि दर 2019 में 6.1 % रहेगी और अगले साल 2020 में भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार आने के साथ इसकी वृद्धि दर 7.0 रहेगी।
The IMF said India’s economy decelerated in the June quarter, held back by sector-specific weaknesseshttps://t.co/Sh16wNRz6n
— Mint (@livemint) October 16, 2019
विश्व बैंक ने भी अपने ताजा अनुमान के अनुसार, भारत की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को 2019 के लिए घटाकर 6 प्रतिशत किया है। 2018 में विश्व बैंक ने आर्थिक वृद्धि के 6.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
खास खबर पर छपी खबर के अनुसार, आईएमएफ ने अपने बयान में कहा है कि अप्रैल 2019 विश्व आर्थिक अनुमान के संबंध में यह संशोधन किया गया है। घरेलू मांग के लिए उम्मीद से अधिक कमजोर परिदृश्य की वजह से वृद्धि दर के अनुमान में कटौती की गई है।
हालांकि, मौद्रिक नीति के सरल होने, कॉरपोरेट इनकम टैक्स की दर में कटौती और ग्रामीण उपभोग को समर्थन देने के लिए सरकारी कार्यक्रमों से वृद्धि को समर्थन मिलेगा।