अगर मुसलमानों की चिंता थी तो दो हिस्सों में क्यों बटी जमीयत उलमा-ए-हिंद?

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जमीयत उलमा-ए-हिंद का गठन वर्ष 1919 में हुआ था। गठन के बाद से ही जमीयत पर मदनी परिवार काबिज रहा है। यही वजह है कि इसमें अध्यक्ष और महासचिव पद मदनी परिवार के किसी सदस्य को हो चुना गया है।

देशभर के मुसलमानों की स्थिति में सुधार लाने और दीन इस्लाम का परचम बुलंद करने के लिए वर्ष 1919 में जमीयत उलमा-ए-हिंद का गठन किया गया। जिसमें देश के प्रमुख उलमा को शामिल किया गया। गठन के साथ ही जमीयत ने पूरे मुल्क में अपना दायरा बढ़ाना शुरू कर दिया।

यही वजह है कि चंद सदस्यों से शुरू हुई जमीयत उलमा आज करीब एक करोड़ सदस्यों को साथ लेकर चल रही है। समय गुजरने के साथ ही जमीयत पर हक जताने को लेकर विवाद भी शुरू हो गया।

यह विवाद वर्ष 2007 में तब जगजाहिर हुआ जब चाचा मौलाना अरशद मदनी और भतीजे मौलाना महमूद मदनी के बीच जमीयत को लेकर आपसी मनमुटाव हो गया। धीरे धीरे समय गुजरा तो विवाद की जड़ें भी गहरी होती चली गई। जिसके चलते वर्ष 2008 में जमीयत दो फाड़ हो गई।

एक जमीयत पर अरशद मदनी काबिज हुए और उसका सदर बन गए। जबकि दूसरी जमीयत पर मौलाना महमूद मदनी ने अपना कब्जा जमा लिया और मौलाना कारी मोहम्मद उस्मान मंसूरपुरी को अध्यक्ष नियुक्त कर दिया।

यह बात भी गौर करने वाली है कि मौलाना महमूद मदनी शुरू से ही जमीयत में महासचिव पद पर रहे और आज तक वो इसी पद पर चले आ रहे थे।

मौलाना महमूद मदनी पिछले करीब 17 वर्षों से जमीयत उलमा-ए-हिंद में राष्ट्रीय महासचिव के पद पर नियुक्त चले आ रहे हैं। आखिर ऐसी कौन सी वजह बनी जो अचानक उन्हें इतने पुराने पद से त्यागपत्र देना पड़ा।

वर्ष 1992 में मौलाना महमूद मदनी ने दारुल उलूम से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। जिसके बाद वह सामाजिक कार्यों में जुट गए। इस दौरान बाबरी मस्जिद विध्वंस की घटना हुई तो मौलाना महमूद मदनी पीड़ितों की सहायता के लिए सड़क पर निकल पड़े।

उन्होंने स्थानीय पुलिस व प्रशासनिक कार्यालयों के आसपास बड़ी संख्या में समर्थकों के साथ घेराबंदी की और तुरंत न्याय के लिए अपनी मांगों पर झुकने के लिए मजबूर कर दिया।

24 दिसंबर 2001 को उन्हें जमीयत में महासचिव पद की जिम्मेदारी सौंपी गई। हालांकि इस दौरान वह सदस्य के रुप में संगठन में बने रहे। संगठन में कोई भी ऐसा नहीं जो मदनी से किसी प्रकार की नाराजगी रखता हो।

लेकिन अचानक उनका इस्तीफा दिया जाना सभी को हैरान करने वाला है। वजह क्या है इस पर जमीयत के पदाधिकारी से लेकर सदस्य तक चुप्पी साधे हुए हैं। जबकि हर कोई जानना चाहता है कि आखिर मौलाना मदनी ने इस्तीफा क्यों दिया।

साभार- ‘अमर उजाला’