अपहरणकर्ता फिरौती की रकम के साथ व्यापारी के परिजनों को भी ले गया, पुलिस देखती रह गई!

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इंद्र वशिष्ठ, फिरौती वसूलने करने आया अपहरणकर्ता रकम के साथ साथ फिरौती देने आए अपहृत व्यकित के परिजनों को ही अगवा करके ले गया। यह सब पुलिस की आंखों के सामने हुआ। पुलिस कुछ समझ पाती तब तक अपहरणकर्ता अपहृत के परिजनों को लेकर भाग गया।
लेकिन कुछ क्षण के लिए स्तब्ध हो गए पुलिस अफसर तुरंत हरकत में आए और आखिरकार अपहरणकर्ता को पकड़ लिया गया। दिल्ली में 26 साल पहले हुआ अपहरण का यह अपनी तरह का शायद इकलौता मामला है।

इस अनोखे मामले में अपहरण कनाट प्लेस के एक रेस्तरां से किया गया और फिरौती की रकम भी कनाट प्लेस के ही एक दूसरे रेस्तरां के बाहर मंगाई गई।

तीस लाख रुपए फिरौती मांगी-

ड्राई फ्रूट्स का कारोबार करने वाले प्रमोद धमीजा निवासी किंग्सवे कैंप का 9 मार्च 1993 को कनाट प्लेस में वोल्गा रेस्तरां से अपहरण हो गया था। अपहरणकर्ता ने उसके परिजनों से तीस लाख रुपए फिरौती मांगी। उस समय मैं ” दिल्ली मिड डे ” समाचार पत्र में अपराध संवाददाता था।

धर्मेंद्र कुमार अपनी बात पर खरे उतरे–

अपहरण की इस वारदात का पता चला तो 11 मार्च की सुबह मैंने व्यापारी के घर फोन किया। व्यापारी का फोन पुलिस सुन रही थी। इसलिए मेरे पास तुरंत नई दिल्ली जिला के तत्कालीन डीसीपी धर्मेंद्र कुमार का फोन आया। उन्होंने खबर न छापने का अनुरोध किया और बताया कि अपहरणकर्ता को वह जल्द ही पकड़ कर व्यापारी को मुक्त करा लेंगे। धर्मेंद्र कुमार ने बताया कि अपहरणकर्ता का फिरौती के लिए स्थान बताने के लिए फोन आने ही वाला है।

इस पर मैंने धर्मेंद्र कुमार से कहा कि आप मुझे भी पुलिस टीम के साथ भेज देना।

धर्मेंद्र कुमार अपनी कही बात पर खरे उतरे। कुछ देर बाद जैसे ही अपहरणकर्ता का फोन आया धर्मेंद्र कुमार ने मुझे बता दिया कि अपहरणकर्ता कनाट प्लेस नरुला रेस्तरां फिरौती की रकम लेने आएगा। मैं भी वहां पहुंच गया।

धर्मेंद्र कुमार कनाट प्लेस थाने में बैठ कर अपहरणकर्ता को पकड़ने की सारी कार्रवाई की निगरानी/कोआर्डिनेशन कर रहे थे।

अपहरणकर्ता फिरौती की रकम के साथ अपहृत व्यापारी के परिजनों को भी ले गया–

कनाट प्लेस के तत्कालीन एसीपी आलोक कुमार और एसएचओ वी के मल्होत्रा आदि पुलिसकर्मियों की टीम ने नरुला रेस्तरां के आसपास मोर्चा संभाल लिया।

एसीपी आलोक कुमार रेस्तरां के अंदर खड़े होकर शीशे के दरवाजे से बाहर निगरानी करने लगे। रेस्तरां के बाहर मारुति वैन में व्यापारी का भाई और पत्नी रकम लिए अपहरणकर्ता के आने का इंतजार कर रहे थे। पुलिस की योजना थी कि जैसे ही अपहरणकर्ता फिरौती की रकम लेकर जाने लगेगा उसे दबोच लेंगे। उससे पूछताछ कर अपहृत व्यापारी को उनके ठिकाने से मुक्त करा लेंगे।

पुलिस ने तो अपनी ओर से यह फुल प्रूफ योजना बनाई हुई थी।

रेस्तरां के अंदर से बाहर नज़र रख रहे एसीपी आलोक कुमार ने देखा कि एक युवक व्यापारी के परिजन की वैन में आकर बैठ गया।

अगले ही पल जो हुआ उसे देखकर कर आलोक कुमार कुछ पल के लिए स्तब्ध रह गए। उस युवक के वैन में बैठते ही वैन चल पड़ी।

हुआ यह कि अपहरणकर्ता ने व्यापारी के परिजनों की वैन में बैठते ही रिवाल्वर निकाल लिया और ड्राइवर से वैन चलाने को कहा। अपहरणकर्ता के आदेश अनुसार ड्राईवर वैन कनाट प्लेस इनर सर्कल में ले गया।

हक्के बक्के आलोक कुमार एकदम रेस्तरां से बाहर आए और तुरंत वायरलैस पर उस वैन के बारे में सूचना दी।

एसीपी आलोक कुमार को लगा कि अपहरणकर्ता मिंटो ब्रिज की ओर से बाहर जा सकता हैं। वह एक निजी कार में अन्य पुलिस कर्मियों के साथ आउटर सर्किल से मिंटो ब्रिज की दिशा में गए। अंदाजा सही निकला वैन उधर जाती हुई दिखाई दी।

बुजुर्ग हवलदार की मुस्तैदी से पकड़ा गया अपहरणकर्ता–

मिंटो ब्रिज पिकेट पर तैनात एक बुजुर्ग पुलिसकर्मी ने वैन के बारे में वायरलैस पर संदेश सुना तो वह बैरीकेड लगा कर खड़ा हो गया। मारुति वैन जैसे ही वहां पहुंची उस पुलिस कर्मी ने स्टेनगन तान कर वैन रोकने का इशारा किया। इसी दौरान पीछे से एसीपी आलोक कुमार आदि पहुंच गए।

पुलिस टीम ने उस वैन को घेर लिया आलोक कुमार ने अपहरणकर्ता पर रिवाल्वर से वार किया तो उसने अपनी रिवाल्वर आलोक कुमार के हवाले कर दी।

अपहरणकर्ता को पकड़ कर कनाट प्लेस थाने लाया गया। अपहरणकर्ता का नाम दिनेश ठाकुर था उससे .38 बोर की रिवाल्वर बरामद हुई।
दिनेश ठाकुर से पूछताछ के बाद सफदरजंग इलाके में निर्माणधीन इमारत पर छापा मारकर वहां से व्यापारी को मुक्त कराया गया। व्यापारी को नशा देकर लोहे की चेन से बांध कर रखा गया था।

व्यापारी पर निगरानी कर रहे दिनेश के साथी सतीश और चौकीदार जगन्नाथ पांडे को भी गिरफ्तार किया गया। सतीश उत्तर प्रदेश के आईएएस अफसर रोशन लाल का बेटा है।

DRI अफसर बन कर व्यापारी से मिला-

खारी बावली में मेवा के व्यापारी प्रमोद से दिनेश ठाकुर राजस्व गुप्तचर निदेशालय का अफसर बन कर मिला। दिनेश ने प्रमोद से कहा कि मुंबई में पकड़े गए कुछ लोगों ने उसका नाम लिया है। प्रमोद के यहां पहले भी छापा पड़ चुका था। उसके खिलाफ फेरा कानून के तहत मामला चल रहा था। दोबारा छापा न पड़ जाए इस डर से दिनेश ठाकुर के बुलावे पर वोल्गा रेस्तरां चला गया था। दिनेश और सतीश ने वहां से उसे वैन में बिठाया और नशा मिला दूध पिला कर अपहरण कर लिया।

व्यापारी का हवाला का धंधा–

दिनेश ठाकुर ने पुलिस को बताया मोहन सिंह पैलेस में यूरो ट्रैवल्स के मालिक पुष्पेंद्र गुलाटी उर्फ पिंकी ने उसे जानकारी दी थी कि प्रमोद हवाला का धंधा करता है। उसके अपहरण से पचास लाख रुपए तक मिल सकते हैं। पुष्पेंद्र गुलाटी को भी गिरफ्तार कर लिया गया।

पुलिस की इज्जत बच गई-

इस घटना को याद करते हुए आलोक कुमार कहते हैं उस दिन तो भगवान ने इज्जत बचा ली। उस समय तो लगा था आज तो पुलिस पर बहुत भारी धब्बा लग जाएगा। सब कहेंगे कि पुलिस अपहृत व्यापारी को तो छुड़ा नहीं पाई उल्टा पुलिस की आंखों के सामने अपहरणकर्ता उसके परिजनों को भी ले गया।

पुलिस की योजना के अनुसार फिरौती की रकम के लिए नोटों के बंडल ऐसे बनाए गए थे जिसमें ऊपर नीचे ही असली नोट थे। इसलिए यह भी डर था कि अगर अपहरणकर्ता वह नोट देख लेगा तो वह परिजनों को भी नुकसान पहुंचा सकता था।

आलोक कुमार दिनेश ठाकुर के पकड़े जाने के लिए उस बुजुर्ग हवलदार राजकुमार को श्रेय देते हैं जिसने वायरलैस मैसेज सुन कर बैरीकेड लगा कर चेकिंग शुरू कर दी थी। इसी वजह से वह दिनेश ठाकुर को पकड़ने में सफ़ल हो पाए।

अपराधी से मिला पुलिस को सबक–

आलोक कुमार ने बताया कि इस घटना से पुलिस को काफी सीखने को मिला। पुलिस ने आगे इस तरह के मामले में पुलिस टीम इस तरह से तैनात करनी शुरू कर दी ताकि अपहरणकर्ता किसी तरह बचने न पाए।

एसीपी आलोक कुमार के साथ एसएचओ वी के मल्होत्रा, इंस्पेक्टर एस के गिरि और सब-इंस्पेक्टर हरचरण वर्मा भी थे। अपहरणकर्ता ने व्यापारी के घर में फोन किया तो उसकी आवाज को सुनकर एस के गिरि ने बताया था कि अपहरणकर्ता दिनेश ठाकुर हो सकता हैं।

दिनेश ठाकुर ने बिजनेस मीटिंग के बहाने से व्यापारी को बुलाया और अपहरण कर लिया था अपहरणकर्ता ने फिरौती की रकम लेने के लिए पहले कमल सिनेमा के पास बुलाया था इसके बाद उसने तीन अलग-अलग जगहों पर बुलाया। आखिर में नरुला रेस्तरां पर बुलाया।
व्यापारी का भाई वैन चालक बन गया था और रकम लेकर व्यापारी की पत्नी बैठी थी।

एसीपी आलोक कुमार का अपहरण के मामले को सुलझाने का यह पहला मौका था।
इसके बाद उन्होंने अपहरण के एक अन्य मामले में कनाट प्लेस से ही अपहृत किए गए बुजुर्ग स्वतंत्रता सेनानी को भी अपहरणकर्ता के चंगुल से मुक्त कराया।

महत्वपूर्ण मामले सुलझाए —

अपराध शाखा के संयुक्त पुलिस आयुक्त के पद पर रहते हुए भी अपहरण के दो सनसनीखेज मामले आलोक कुमार के नेतृत्व में सुलझाए गए। 1-1-2018 को बिजनेसमैन के बेटे का वसंत कुंज से अपहरण कर लिया गया था। अपहरणकर्ताओं को गिरफ्तार कर युवक को मुक्त कराया गया।

25-1-2018 को पूर्वी दिल्ली के शाहदरा इलाके में स्कूल बस के चालक को गोली मारकर कर एक बच्चे के अपहरण से सनसनी फ़ैल गई थी। अपराध शाखा की टीम ने साहिबाबाद के एक फ्लैट में छापा मारा कर बच्चे को मुक्त कराया। इस दौरान एक अपहरणकर्ता पुलिस की गोलीबारी में मारा गया।

साल 2018 में अपराध शाखा के संयुक्त पुलिस आयुक्त के पद से सेवानिवृत्त हुए आलोक कुमार के खाते में अनेक महत्वपूर्ण मामले सुलझाने का श्रेय हैं।

अपराध शाखा के तत्कालीन डीसीपी कर्नल सिंह , अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त आलोक कुमार के नेतृत्व में दिल्ली में 1996-1997 में हुए सिलसिलेवार 42 बम धमाकों में शामिल आतंकवादियो को पकड़ा गया ।

स्पेशल सेल के तत्कालीन संयुक्त पुलिस आयुक्त कर्नल सिंह और डीसीपी आलोक कुमार के नेतृत्व में ही 13 सितंबर 2008 को दिल्ली में हुए सिलसिलेवार 5 बम धमाकों में शामिल आतंकवादियों को खोज निकाला गया। इन आतंकवादियों के साथ 19 सितंबर 2008 को बटला हाउस में एनकाउंटर हुआ जिसमें दो आतंकवादी मारे गए। इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा शहीद हो गए।

तंदूर कांड– युवा कांग्रेस नेता सुशील शर्मा ने अपनी पत्नी नैना साहनी की हत्या कर उसके शव को बगिया रेस्तरां में जलाने की कोशिश की थी। इस मामले की तफ्तीश में भी आलोक कुमार की अहम भूमिका थी।

31 जुलाई 95 को दिनेश ठाकुर उत्तर पश्चिम जिला के तत्कालीन डीसीपी कर्नल सिंह की टीम के इंस्पेक्टर रविशंकर आदि की टीम के हाथों कथित एनकाउंटर में मारा गया।

दिल्ली पुलिस में अनेक महत्वपूर्ण पदों पर रहे 1984 बैच के आईपीएस धर्मेंद्र कुमार रेलवे पुलिस फोर्स के महानिदेशक पद से 2018 में सेवानिवृत्त हो हो गए।