असम NRC विवाद: 40 लाख लोगों में सिर्फ़ 36.2 लाख लोगों ने पेश किया दावा

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असम के नेशनल रजिस्ट्रर फॉर सिटिजन्स (एनआरसी) को प्रकाशित करने की आखिरी तारीख 31 जुलाई ही रहेगी। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एनआरसी को प्रकाशित करने के लिए और अधिक समय देने से इनकार कर दिया है। साथ ही शीर्ष अदालत को जानकारी दी गई कि एनआरसी के अंतिम ड्राफ्ट से बहार हुए 40 लाख लोगों में से करीब 36.2 लाख लोगों ने दावा पेश किया है।

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति रोहिंग्टन एफ नरीमन की पीठ ने एनआरसी को प्रकाशित करने की तारीख 30 सितंबर तक बढ़ाने की मांग को ठुकरा दिया गया।

आने वाले आम चुनाव के मद्देनजर एनआरसी प्रकाशित करने की तारीख बढ़ाने की मांग की गई थी। पीठ ने कहा कि आम चुनाव और एनआरसी, दोनों ही महत्वपूर्ण हैं और दोनों की प्रक्रिया एकसाथ चल सकती हैं।

सुनवाई के दौरान पीठ को यह भी जानकारी दी गई कि एनआरसी से बाहर हुए करीब 40 लाख लोगों में से 36.2 लाख लोगों ने दावा पेश किया है जबकि करीब दो लाख लोगों ने ड्राफ्ट एनआरसी पर आपत्तियां दर्ज कराई है।

इसकेअलावा पीठ ने असम के मुख्य सचिव, एनआरसी कोर्डिनेटर प्रतीक हजेला और निर्वाचन आयोग को एक हफ्ते के भीतर बैठक कर यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि चुनाव और एनआरसी के कामों में कर्मचारियों की समस्या नहीं उत्पन्न हो।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि दावों को लेकर 15 फरवरी से सुनवाई शुरू होगी और दावाकर्ताओं को 15 दिनों पूर्व सुनवाई की जानकारी होनी चाहिए। मालूम हो कि गत वर्ष 30 जुलाई को जारी एनआरसी के अंतिम ड्राफ्ट में 3.29 करोड़ लोगों में से करीब 40 लाख लोग बाहर हो गए थे।

अमर उजाला पर छपी खबर के मुताबिक, असम के राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) को प्रकाशित करने की आखिरी तारीख 31 जुलाई ही रहेगी। एनआरसी प्रकाशित करने के लिए और समय देने से इनकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा अब डेडलाइन आगे नहीं बढ़ेगी।

सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि एनआरसी से बाहर हुए 40 लाख लोगों में से 36.2 लाख ने दावा पेश किया है। जबकि करीब दो लाख ने ड्राफ्ट एनआरसी पर आपत्तियां दर्ज कराई हैं। कोर्ट ने दावों पर 15 फरवरी से सुनवाई शुरू करने और दावाकर्ताओं को 15 दिन पहले इसकी जानकारी देने को कहा है।

बृहस्पतिवार को प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायाधीश आरएफ नरीमन की पीठ ने एनआरसी प्रकाशित करने की तारीख 30 सितंबर तक बढ़ाने की मांग ठुकरा दी।

आम चुनाव के मद्देनजर समय बढ़ाने की मांग की गई थी। पीठ ने कहा, लोकसभा चुनाव और एनआरसी का काम एक साथ चल सकता है। पीठ ने असम के मुख्य सचिव, चुनाव आयोग के सचिव और असम में एनआरसी के समन्वयक प्रतीक हलेजा को निर्देश दिया कि वे बैठक कर यह सुनिश्चित करें कि चुनाव और एनआरसी के काम के लिए कर्मचारियों की समस्या न हो।

कोर्ट ने असम सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को निर्देश दिया कि यह बैठक सात दिन में हो और पांच फरवरी को होने वाली अगली सुनवाई पर कोर्ट को बताया जाए कि इसमें क्या तय हुआ। गौरतलब है कि गत वर्ष 30 जुलाई को जारी एनआरसी के अंतिम ड्राफ्ट में 3.29 करोड़ लोगों में से 40 लाख लोग बाहर हो गए थे।