आज राज्यसभा में पेश होगा नागरिकता संशोधन बिल! नॉर्थ ईस्ट में हो रहा है विरोध

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नागरिकता संशोधन विधेयक मंगलवार को राज्यसभा में रखा जाएगा. इस बिल का विपक्ष सहित एनडीए की सहयोगी पार्टियां भी विरोध कर रही हैं. बजट सत्र खत्म होने से पहले इस बिल को पास कराने का सरकार के पास आखिरी मौका है. इस विधेयक के कानून बनने के बाद, अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के मानने वाले अल्पसंख्यक समुदायों को 12 साल की बजाय महज छह साल भारत में गुजारने और बिना उचित दस्तावेजों के भी भारतीय नागरिकता मिल सकेगी. इस विधेयक को शीतकालीन सत्र के दौरान आठ जनवरी को लोकसभा ने पारित कर दिया था और राज्यसभा में इसे मंजूरी मिलना अभी बाकी है.

मणिपुर में धारा 144 लागू
असम और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में इस विधेयक का कड़ा विरोध हो रहा है. मणिपुर की राजधानी इंफाल में सोमवार को नागरिकता (संशोधन) विधेयक के खिलाफ प्रदर्शन से जन-जीवन बुरी तरह प्रभावित रहा. इंफाल के ईस्ट जिलों में 12 फरवरी तक के लिए धारा 144 लागू कर दी गी है. इससे पहले रविवार को महिला विक्रेताओं और पुलिस के बीच झड़प में आठ लोग घायल हो गए थे. रविवार को इंफाल के इमा कैथेल (मदर्स मार्केट) को महिला विक्रेताओं द्वारा घेरने पर उन्हें खदेड़ने आई पुलिस और महिला विक्रेताओं के बीच हुई झड़प में छह महिलाएं और दो पुलिसकर्मी घायल हो गए थे. पुलिस ने आंसू गैस के गोले भी दागे थे.

नागालैंड में भारी विरोध
नागालैंड में सोमवार को नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2016 के खिलाफ आहूत दिनभर के बंद की वजह से सामान्य जनजीवन प्रभावित रहा. राज्य में दुकानें, व्यावसायिक प्रतिष्ठान व शैक्षिक संस्थान बंद रहे और सभी 11 जिलों में सड़क यातायात ठप रहा. राज्य की राजधानी कोहिमा व वाणिज्यिक शहर दीमापुर की व्यस्त सड़कें खाली दिखीं. नागालैंड के मुख्य सचिव व वित्त आयुक्त तेमजेन तॉय ने कहा कि राज्य सरकार आगामी बजट सत्र में विधेयक के विरोध में एक प्रस्ताव लाएगी.

मोदी ने हितों की रक्षा का दिया था आश्वासन
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को असम और पूर्वोत्तर के लोगों को आश्वासन देते हुए कहा कि नागरिकता विधेयक से उनके हितों को किसी भी तरह का नुकसान नहीं पहुंचेगा.मोदी ने एक रैली में कहा कि ‘यह पूर्वोत्तर के लोगों से एक राष्ट्रीय प्रतिबद्धता है कि उन्हें किसी तरह नुकसान नहीं होगा और जांच एवं राज्य सरकारों की सिफारिश के बाद ही नागरिकता दी जाएगी. उन्होंने कहा, ‘‘हम उन लोगों को शरण देने के प्रति प्रतिबद्ध हैं जो पड़ोसी देशों में अल्पसंख्यक हैं और जिन्हें उनपर ढाए गए जुल्मों के चलते सब कुछ छोड़ कर भागना पड़ा. वे हमारे देश में आए हैं और भारत मां के विचारों और लोकाचार को अपनाया है.’

दो मुख्यमंत्रियों ने किया विरोध
पूर्वोत्तर के दो राज्यों के मुख्यमंत्रियों अरुणाचल प्रदेश के पेमा खांडू और मणिपुर के एन बीरेन सिंह ने विवादास्पद नागरिकता संशोधन विधेयक के विरोध में सोमवार को अपनी आवाज उठाई और राज्यसभा में इसे पारित नहीं करने की गृह मंत्री राजनाथ सिंह से अपील की. भाजपा के दोनों मुख्यमंत्रियों ने 30 मिनट की बैठक के दौरान गृह मंत्री को पूर्वोत्तर की मौजूदा स्थिति के बारे में अवगत कराया जहां इस विधेयक के खिलाफ लगातार विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं.

एनडीए से अलग होने की धमकी
वहीं पूर्वोत्तर में नागरिकता विधेयक के बड़े पैमाने पर हो रहे विरोध के बीच नेशनल पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष एवं मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड के संगमा ने धमकी दी है कि अगर यह विधेयक राज्यसभा में पारित होता है तो उनकी पार्टी केंद्र में सत्तारूढ़ राजग से अलग हो जाएगी. संगमा ने बैठक के बाद संवाददाताओं को बताया, ‘पार्टी ने एकमत से एक प्रस्ताव स्वीकार किया है जिसमें नागरिकता संशोधन विधेयक 2016 का विरोध करने का निर्णय किया गया है . अगर यह विधेयक पारित हो जाता है तो एनपीपी राजग के साथ अपना गठबंधन तोड़ देगा.’