शिवसेना का मोदी सरकार पर हमला, पूछा- आरक्षण तो दे दिया, पर नौकरियां कहां है ?

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मुंबई
आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को 10 प्रतशित आरक्षण देने के मोदी सरकार के निर्णय की खिल्ली उड़ाते हुए शिवसेना ने पूछा है कि देने के लिए नौकरियां कहां हैं? सरकार के मंत्री बार-बार कह रहे हैं कि सरकारी नौकरियां नहीं हैं, ऐसे में 10 प्रतिशत आरक्षण देने का क्या मतलब? शिवसेना ने अपने मुख पत्र के माध्यम से मोदी पर सरकार पर हमला करते हुए इसे एक चुनावी चाल करार दिया।

पार्टी का कहना है कि, जब सत्ता में बैठे लोग असफल हो जाते हैं, तब आरक्षण का कार्ड खेलते हैं। शिवसेना का कहना है कि भारत में 15 साल से अधिक उम्र के लोगों की आबादी हर महीने 13 लाख बढ़ रही है। 18 वर्ष से कम आयु के नाबालिगों को नौकरी देना अपराध है, लेकिन बाल श्रम लगातार जारी है। देश में रोजगार की दर को संतुलित बनाए रखने के लिए हर साल 80 से 90 लाख नए रोजगारों की जरूरत है, लेकिन यह गणित कुछ समय से असंतुलित है।

पार्टी ने आरोप लगाया कि, ‘पिछले दो सालों में नौकरी के अवसर बढ़ने के बजाय कम हुए हैं और नोटबंदी एवं जीएसटी के कारण करीब 1.5 करोड़ से लेकर दो करोड़ नौकरियां चली गई हैं। युवाओं में लाचारी की भावना है।’ शिवसेना का दावा है कि सन 2018 में रेलवे में 90 लाख नौकरियों के लिए 2.8 करोड़ लोगों ने आवेदन किया था।

पार्टी का दावा है कि इसके अलावा मुंबई पुलिस में 1,137 पदों के लिए चार लाख से अधिक लोगों ने आवेदन किया और कई आवेदनकर्ता आवश्यक योग्यता से अधिक शैक्षणिक योग्यता रखते थे। युवाओं को पकौड़ा तलने की सलाह देने वाले प्रधानमंत्री को आखिरकार आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों को 10 प्रतिशत आरक्षण देना पड़ा।