ओमान व अन्य खाड़ी देशों में भारतीय शिक्षा का विस्तार

   

नई दिल्ली, 21 नवंबर । भारत को शिक्षा का ग्लोबल डेस्टिनेशन बनाने के लिए भारतीय शिक्षा का विस्तार दूसरे देशों में करने की पहल की जा रही है। इंडियन स्कूल मस्कट इसी कड़ी में एक सशक्त कदम है। मस्कट में 1975 में केवल 135 छात्रों के साथ शुरू हुआ ये संस्थान, 9200 छात्रों के साथ आज खाड़ी देशों में सबसे बड़ा सह-शैक्षणिक संस्थान है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय अब भारतीय शिक्षा का ऐसा ही विस्तार खाड़ी समेत अन्य देशों में करने की योजना बना रहा है।

ओमान स्थित इस संस्थान के तीसरे संस्करण के अवेनिर 2020 का वर्चुअल उद्घाटन केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने किया। इस मौके पर ओमान सल्तनत में भारत के राजदूत मुनु महावर, ओमान में भारतीय विद्यालयों के निदेशक मंडल के निदेशक और विद्यार्थी मौजूद रहे।

केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा, इंडियन स्कूल मस्कट अपने उद्देश्यों के साथ तेजी से बढ़ा रहा है। शिक्षा के विकास में ओमान सल्तनत के परोपकारी शासक सुल्तान कबूस बिन सैद का बड़ा योगदान है, जिन्होंने दरसैत में भूमि का अनुदान दिया। इससे स्कूल स्थापित करने में मदद मिली।

केंद्रीय मंत्री निशंक ने वर्तमान सुल्तान हैथम बिन तारिक के प्रति विशेष आभार व्यक्त किया और कहा, ओमान सल्तनत ने भारतीय समुदाय के लोगों को विशेष स्नेह और सम्मान दिया है। भारत और ओमान के बीच की साझेदारी और मधुर संबंध आने वाले समय में लोगों के लिए पथ प्रदर्शन करता रहेगा।

इंडियन स्कूल मस्कट विज्ञान, वाणिज्य और मानविकी में अकादमिक शिक्षा प्रदान करता है। खेल, स्काउट और गाइड, भ्रमण, साहसिक शिविर, अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार योजना, अंतर्राष्ट्रीय छात्र विनिमय कार्यक्रम, स्टेज क्राफ्ट, वाद-विवाद के माध्यम से जीवन को सशक्त बनाने पर जोर देता है। प्रख्यात व्यक्तित्वों के साथ बातचीत के माध्यम से ज्ञान प्रसार कर छात्रों के लिए एक सुखद अनुभव साझा करता है।

इंडियन स्कूल ओमान संबद्ध भारतीय स्कूलों के लिए शैक्षणिक और प्रशासनिक सहायता जारी रखता है। इस संस्थान ने राजधानी में अन्य भारतीय स्कूलों के गठन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

अवेनियर का उद्धाटन करते हुए केंद्रीय मंत्री डॉ. निशंक ने कहा, कोविड महामारी के दौरान शिक्षा मंत्रालय ने अभूतपूर्व सफलता हासिल की है। इस दौर में लोगों को खुश रखना हमारी सबसे बड़ी चुनौती रही। जिसके मन में संवेदना नहीं उसका जीवन बेकार है।

अवेनियर 2020 का उद्घाटन करते हुए डॉ. निशंक ने कहा, ओमान में भारतीय विद्यालयों के निदेशक मंडल द्वारा आयोजित उच्च स्तरीय कैरियर गाइडेंस मेला सराहनीय कदम है। अवेनिर एक फ्रांसीसी शब्द है जिसका अर्थ है भविष्य। ऐसे में यहां छात्रों की उच्च शिक्षा की जो संभावनाएं हैं, जो विकल्प हैं, वे अपने आप मिल जाते हैं। ऐसा लगता है कि उनकी असली यात्रा यहीं से शुरू होती है। मुझे विश्वास है कि इस आयोजन के विविध सत्रों में वैचारिक मंथन के पश्चात जो भी ज्ञान का प्रकाश पुंज उभर कर सामने आएगा, उससे संपूर्ण वैश्विक जगत को लाभ प्राप्त होगा।

उन्होंने कहा कि, भारत में दुनिया का सबसे बड़ा स्कूल तंत्र हैं और अब वक्त आ गया है कि नई शिक्षा नीति के जरिए हम अपने छात्रों को विश्व के मानस पटल पर स्थापित करेंगे। अब वो दिन दूर नहीं कि भारत में आर्टिफिसियल इंटेलिजेंस की पढ़ाई होगी। जैसा कि हमारे प्रधानमंत्री का एक संपन्न भारत का सपना है, वह जल्द पूरा होगा। दुनिया के 100 बड़े संस्थान अब भारत में शिक्षा प्रदान करने के लिए आएंगे। अगर सीबीएसई की बात करें तो ये दुनिया का सबसे बड़ा बोर्ड है जो शिक्षा के क्षेत्र में एक मिशन के साथ सफलतापूर्वक कार्य कर रहा है।

निशंक ने नई शिक्षा नीति पर विस्तार से बात की और कहा कि भारत में तक्षशिला, नालंदा, विक्रमशिला जैसे संस्थान फिर से भारत का नाम रौशन करेंगे और भारत विश्वगुरु के रुप में अपनी भूमिका निभाएगा।

इस आयोजन में प्रख्यात वक्ताओं, कैरियर गाइड्स एवं मेंटर जो भारत के भावी कर्णधारों के उज्‍जवल भविष्य को नया रूप देने के लिए कार्य कर रहे हैं, उन्हें विशेष आभार व्यक्त किया। इंडियन स्कूल मस्कट के प्रधानाचार्य डॉ. राजीव कुमार चौहान को आयोजन को सफल बनाने के लिए किए गए प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा, आप लोगों की ऊर्जा एवं ललक देखकर यह महसूस होता है कि आप एक बेहतर दुनिया बनाने के प्रयास में लगे हुए हैं। यह आयोजन हमारे विद्यार्थियों के जीवन को नई दिशा प्रदान करेगा।

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