कनाट प्लेस फर्जी एनकाउंटर, 2 बिजनेसमैन की हत्या, ACP सत्यवीर राठी को टीम समेत उम्रकैद!

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इंद्र वशिष्ठ, दिल्ली पुलिस के एसीपी सत्यवीर सिंह राठी की टीम द्वारा कनाट प्लेस में 31 मार्च 1997 को दिनदहाड़े बदमाश के धोखे में दो व्यवसायियों प्रदीप गोयल और जगजीत सिंह की अंधाधुंध गोलियां मार कर हत्या कर दी गई। उनका साथी तरुण घायल हो गया।

पुलिस ने इनको न केवल अपराधी बताया बल्कि उनके खिलाफ केस दर्ज कर दिया था। उनसे पिस्तौल भी बरामद दिखा दी। जबकि ये तीनों बेकसूर थे।

पुलिस की पोल तुरंत ही खुल गई तो हड़कंप मच गया। 31 मार्च 1997 का यह दिन दिल्ली पुलिस के लिए काला दिन बन गया।

नई दिल्ली जिला पुलिस उपायुक्त के कार्यालय में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में तत्कालीन पुलिस कमिश्नर निखिल कुमार ने मुस्कराते हुए कहा कि यह घटना “पहचानने में गलती” के कारण हो गई। पुलिस टीम बदमाश यासीन को पकड़ने गई थी।

पुलिस कमिश्नर निखिल कुमार की भूमिका–

इस पत्रकार ने पुलिस कमिश्नर निखिल कुमार से पूछा कि बेकसूर लोगों की हत्या करने वाली पुलिस टीम के खिलाफ आप क्या कार्रवाई कर रहे हैं ? यह भी कहा कि आप पुलिस वालों के खिलाफ एक्शन लेकर मीडिया को बता दें। जिससे लोगों को बेकसूर व्यवसायियों की हत्या की इस खबर के साथ यह भी पता चल जाए कि दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी गई हैं।

लेकिन निखिल कुमार शायद इस मामले की गंभीरता/ संवेदनशीलता और इसके परिणामों को समझ नहीं पाए या अपने राजनैतिक परिवार के रुतबे के कारण निश्चिंत थे। इसलिए उन्होंने उस समय कोई कार्रवाई नहीं की।

निखिल कुमार ने प्रेस कांफ्रेंस के बाद वहां से जाते हुए कहा कि कल मिलते हैं मेरे मुंह से अचानक ही निकल गया कल आप मिलोगे ? (मतलब पद पर)।

वहीं हुआ अगले दिन निखिल कुमार को पुलिस आयुक्त के पद से हटा दिया गया।

बहुत बेआबरु होकर तेरे कूचे से हम निकले-

पुलिस कमिश्नर के पद से तबादला या सेवानिवृत्त होने वाले अफसर को समारोह पूर्वक विदाई दी जाती हैं। उस अफसर की कार को फूलों वाली रस्सी से वरिष्ठ अफसरों द्वारा खींचा जाता हैं। लेकिन निखिल कुमार के साथ ऐसा कुछ नहीं हुआ। निखिल कुमार ख़ुद अपनी कार चला कर पुलिस मुख्यालय से विदा हुए।

उप-राज्यपाल ने पुलिस वालों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कराया–

उप-राज्यपाल ने बेकसूरों की हत्या के मामले में अपराध शाखा के एसीपी सत्यवीर सिंह राठी, इंस्पेक्टर अनिल समेत दस पुलिस वालों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कराया और निलंबित कर दिया। इस मामले की तफ्तीश सीबीआई को सौंपी गई।

पुलिस कमिश्नर ने माफ़ी तक नहीं मांगी–

जबकि यह कार्रवाई तो निखिल कुमार को पहले ही दिन करनी चाहिए थी। पुलिस का मुखिया होने के नाते उन्होंने मृतकों के परिजनों से माफ़ी तक नहीं मांगी।

सामान्यतः मातहत पुलिस वालों की कोई गंभीर गलती पता चलते ही वरिष्ठ पुलिस अफसरों द्वारा उन्हें तुरंत निलंबित कर जांच शुरू करने की कार्रवाई की जाती हैं।

लेकिन पुलिस कमिश्नर निखिल कुमार ने तो दो व्यवसायियों की हत्या जैसे अति गंभीर अपराध को करने वाली पुलिस टीम के खिलाफ यह सामान्य और स्वभाविक कार्रवाई/ प्रक्रिया भी उसी समय नहीं की।

उम्रकैद–

अदालत ने हत्या, हत्या की कोशिश, सबूत नष्ट करने और झूठे सबूत बनाने के आरोप में अपराध शाखा के पूर्व एसीपी सत्यवीर सिंह राठी, इंस्पेक्टर अनिल कुमार, सब-इंस्पेक्टर अशोक राणा, हवलदार शिव कुमार, तेज़ पाल, महावीर सिंह सिपाही सुमेर सिंह, सुभाष चन्द्र,सुनील कुमार और कोठारी राम को उम्रकैद की सज़ा सुनाई।

पूर्व एसीपी सत्यवीर सिंह राठी आदि इस समय तिहाड़ जेल में उम्रकैद की सज़ा काट रहे हैं।

राठी पर फर्जी एनकाउंटर का आरोप पहले भी लगा।—

26-11-1992 को कुख्यात बदमाश सतबीर गूजर पश्चिम जिला के तत्कालीन डीसीपी धर्मेंद्र कुमार के मातहत इंस्पेक्टर सत्यवीर राठी की टीम के हाथों कथित एनकाउंटर में मारा गया।

सतबीर गूजर के परिजनों ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उसकी हत्या करके मुठभेड़ दिखा दी है।

तिलक नगर के तत्कालीन एस एच ओ सत्यवीर राठी को इस मामले में बारी से पहले तरक्की देकर एसीपी बना दिया गया।

यासीन पकड़ा गया–

अपराध शाखा के तत्कालीन एसीपी अजय कुमार की टीम ने 4-4-1997 को दरिया गंज में मोती महल रेस्तरां के बाहर से यासिन को गिरफ्तार कर लिया। जिस यासीन को बहुत ख़तरनाक बताया गया था उसे पुलिस ने बिना किसी ख़ून ख़राबे के पकड़ लिया।

उत्तराखंड की पहली महिला पुलिस महानिदेशक ने माफ़ी मांग कर इंसानियत की मिसाल बनाई —

ऋषिकेश में एक बेकसूर महिला की पुलिस ने गोलियां मार कर हत्या कर दी और उसे आतंकवादी बता दिया था।

उस समय उत्तराखंड की पहली महिला पुलिस महानिदेशक कंचन चौधरी भट्टाचार्य ने सच का पता लगाया। पुलिस वालों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कराया और उनको जेल भेजा। इसके बाद कंचन चौधरी भट्टाचार्य मृतक महिला के घर गई और उसके परिजनों से पुलिस महकमे की ओर से माफ़ी मांगी।