कश्मीर पर मलेशिया और तुर्की के बयान से भारत सरकार खुश नहीं, इंपोर्ट में करेगा कटौती

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कश्मीर पर मलेशिया  और तुर्की  के बयान से भारत सरकार खुश नहीं है. जिसका असर अब व्यापार पर पड़ता दिख रहा है. जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का मलेशिया और तुर्की ने विरोध किया था. जिसके बाद भारत अब दोनों देशों के खिलाफ कदम उठाने जा रहा है. भारत मलेशिया से पाम ऑयल का आयात रोक चुका है और अब वह वहां से पेट्रोल, एल्यूमीनियम इंगॉट, एलएनजी, कंप्यूटर पार्ट्स और माइक्रोप्रोसेसर मंगाना कम कर सकता है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत सरकार मलेशिया से पेट्रोल और गैस का आयात कम करने के साथ तुर्की से भी तेल और स्टील मंगाना कम कर सकती है.

गौरतलब है कि मलेशिया के प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद  ने पिछले कुछ महीनों से भारत के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मोर्चा खोले हुए हैं. भारत की नाराजगी और कड़े कदम उठाने के संकेत देने के बाद भी उनका कहना है कि भारत के खिलाफ स्टैंड से वो पीछे नहीं हटने वाले. कुछ साल पहले तक मलेशिया और भारत के रिश्ते खासे बेहतर थे लेकिन अब ते तल्ख होते नजर आ रहे हैं.

भारत की नाराजगी का व्यापार पर असर 

भारत सरकार कई तरीकों से व्यापार का इस्तेमाल कर मलेशिया को जवाब दे रही है. बिगड़ते रिश्तों का असर मलेशिया से बड़े पैमाने पर आयात होने पाम ऑयल पर पड़ रहा है. भारत पाम ऑयल के सबसे बड़े आयातकों में है. जब भारत में इस तेल के आयात पर सरकार की ओर से कोई पाबंदी नहीं थी तब मलेशिया से दो-तिहाई तेल भारत आता था. फिर सरकार की और से इसे “रिस्ट्रिक्टेड” श्रेणी में डाल दिया गया, अब अगर किसी व्यावसायी को मलेशिया से पाम ऑयल आयात करना है तो उसे सरकार से लाइसेंस लेना होगा.

मलेशिया और तुर्की के रूख से भारत खफा

मलेशिया के पीएम महातिर मोहम्मद ने नागरिकता संशोधन कनून पर भी सवाल उठाते हुए कहा था कि जब भारत में सब लोग 70 साल से साथ रहते आए हैं, तो इस कानून की जरूरत ही क्या थी उन्होंने कहा, ” भारत में लोग इस कनून के कारण अपनी जान गंवा रहे हैं.” महातिर मोहम्मद ने अनुच्छेद 370 पर कहा था कि भारत ने जम्मू-कश्मीर पर आक्रमण करके कब्जा किया है.

उन्होंने कहा कि भारत को इस मुद्दे के समाधान के लिये पाकिस्तान के साथ काम करना चाहिए. उन्होंने कहा था जम्मू-कश्मीर में भारत की कार्रवाई के कारण हो सकते हैं लेकिन इसके बावजूद यह गलत है. उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के बावजूद जम्मू-कश्मीर पर आक्रमण और कब्जा किया गया.

तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन ने भी कश्मीर पर भारत के फैसले की आलोचना की थी. उन्होंने कहा था कि भारत कश्मीर को बिल्कुल ब्लॉक कर देना चाहता है. दोनों देशों द्वारा आंतरिक मामलों में की गई इस टिप्पणी से भारत नाराज था. भारत द्वारा इन बयानों की की आलोचना की गई थी. भारत सरकार ने इसे अपने अंदरुनी मामलों में दखल माना था. जिसके बाद दोनों देशों के खिलाफ ये कदम उठाए गए.