कश्मीर मुद्दे पर प्रियंका गांधी ने फिर बोला हमला, पूछा- ‘क्या मोदी-शाह सरकार मानती है कि लोकतंत्र है?’

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जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस नेता को गिरफ्तार किए जाने पर पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह पर निशाना साधा है. उन्होंने सवाल किया कि मोदी-शाह की सरकार मानती है कि भारत में लोकतंत्र है? प्रियंका गांधी ने पूर्व मुख्यमंत्रियों (उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती) की गिरफ्तारी को लेकर भी सरकार की आलोचना की.

 

उन्होंने कहा, ”जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस नेताओं को किस आधार पर गिरफ्तार किया गया है? क्या मीडिया से बात करना अपराध है? हमारे नेताओं की तरह ही पूर्व मुख्यमंत्रियों को गिरफ्तार किए 15 दिन बीत चुके हैं जो भारत के संविधान का सम्मान करते हैं.” प्रियंका ने आगे कहा, ”यहां तक कि उनके परिवारों को भी उनके साथ बातचीत करने की अनुमति नहीं दी गई है. क्या मोदी-शाह सरकार का अब भी मानना है कि भारत में लोकतंत्र है?” शुक्रवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी और राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने गुलाम अहमद मीर और जम्मू में वरिष्ठ कांग्रेस नेता रवींद्र शर्मा की गिरफ्तारी की निंदा की थी. राहुल ने ट्वीट किया था, ‘‘मैं जम्मू कश्मीर कांग्रेस प्रमुख गुलाम अहमद मीर और प्रवक्ता रवींद्र शर्मा को जम्मू में आज गिरफ्तार किये जाने की कड़ी निंदा करता हूं. एक राष्ट्रीय राजनीतिक दल के खिलाफ इस अकारण कार्रवाई से सरकार ने लोकतंत्र पर एक और प्रहार किया है. यह पागलपन कब खत्म होगा.’

 

कांग्रेस की जम्मू कश्मीर इकाई को शुक्रवार को पार्टी मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन करने से रोक दिया गया और जम्मू में पुलिस ने उसके मुख्य प्रवक्ता और पूर्व विधानपरिषद सदस्य रवींद्र शर्मा को हिरासत में ले लिया. जम्मू-कश्मीर के कांग्रेस प्रमुख गुलाम अहमद मीर दोपहर को नजरबंद कर लिये गये.

 

आजाद ने कहा कि राज्य और केंद्र सरकार तो कह रही है कि जम्मू में स्थिति सामान्य है और लोग जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संवैधानिक प्रावधानों को निरस्त करने के फैसले पर खुशी मना रहे हैं लेकिन विपक्ष के नेताओं को तो संवाददाता सम्मेलन भी नहीं करने दिया जा रहा है.

 

वहीं पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि मीर शुक्रवार से जम्मू में अपने घर में नजरबंद हैं. उन्होंने सोशल मीडिया साइट पर लिखा, ‘‘ हिरासत में लेने का कोई लिखित आदेश नहीं था. प्रबल रूप से गैरकानूनी है… मैं उम्मीद करता हूं कि अदालतें कदम उठाएंगी और नागरिकों की आजादी की सुरक्षा करेंगी.’’