कुरान की प्रति बांटने के आदेश के बाद राँची के वकील आंदोलित, मनीष कुमार सिंह के अदालत का किया बहिष्कार

, ,

   

रांची : ऋचा पटेल के फेसबुक टिप्पणी मामले में न्यायिक दंडाधिकारी मनीष कुमार सिंह के 5 कुरान की प्रति बांटने के आदेश के बाद राँची जिले के वकील आंदोलित हो गए हैं। मनीष कुमार सिंह के अदालत का आज बहिष्कार किया गया। आरोपी मीडिया में न्यायालय के फैसले को चुनोती देते हुए न्यायालय के फैसले को भी मानने से इंकार कर रही है, क्या ये कोर्ट के अवमानना नही होगा? क्या इसपर कोर्ट को संज्ञान नही लेनी चाहिए?

गौरतलब है कि रांची की एक युवती ऋचा को जमानत देते हुए मैजिस्ट्रेट ने शर्त रखी थी कि वह कुरान की 5 कॉपी वितरित करे। जमानत की इस शर्त पर देशभर में बहस छिड़ी हुई है। कानूनी जानकारों की राय भी इस मामले में अलग-अलग है। एक तरफ कानूनी जानकार कहते हैं कि जज की मंशा सांप्रदायिक सौहार्द को बढ़ावा देने की है, इसलिए ऐसा आदेश पारित हुआ होगा तो दूसरी कानूनी जानकार कहते हैं कि सीआरपीसी के दायरे में ही जमानत की शर्त लगाई जा सकती है, उसके दायरे से बाहर जाकर नहीं।

दिल्ली हाई कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस एस. एन. ढींगड़ा का कहना है कि मामले में शिकायती ने युवती पर आरोप लगाया है कि उसने धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई है। इसी बात के मद्देनजर मैजिस्ट्रेट ने सौहार्द बढ़ाने के लिए इस तरह का आदेश पारित किया। ये शर्त कोई कठिन शर्त नहीं है। कुरान बांटने का आदेश दिए जाने के पीछे मंशा यह रही होगी कि दो समुदायों में आपसी सौहार्द बढ़े और इसमें कुछ भी गलत नहीं दिखता है, बल्कि इस फैसले का तो स्वागत होना चाहिए।

सीनियर एडवोकेट रमेश गुप्ता का कहना है कि इस तरह की जमानत की शर्त नहीं लगाई जा सकती है। अगर मामला जमानती हो तो मैजिस्ट्रेट सिर्फ बेल बॉन्ड भरवाकर जमानत देता है। अगर मामला गैर जमानती हो और तब जमानत दी जा रही हो तो फिर मैजिस्ट्रेट को सीआरपीसी के प्रावधान के हिसाब से ही शर्त लगानी होती है। मसलन जमानत पर छूटने के बाद आरोपी शिकायती को धमकी नहीं देगा या उससे संपर्क की कोशिश नहीं करेगा, गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश नहीं करेगा, सबूतों के साथ छेड़छाड़ नहीं करेगा। कोर्ट को बिना बताए शहर या देश नहीं छोड़ेगा आदि लेकिन कुरान बांटने की शर्त सीआरपीसी के प्रावधान के बाहर की बात है।

सुप्रीम कोर्ट के सीनियर ऐडवोकेट एम. एल. लाहौटी का कहना है कि मैजिस्ट्रेट इस तरह की शर्त नहीं लगा सकता। सिर्फ सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट को असीम अधिकार मिले हुए हैं और कई बार सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट अपने फैसले में कम्युनिटी सर्विस आदि का आदेश देते हैं। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक डॉक्टर को 100 पेड़ लगाने का आदेश दिया, लेकिन ये आदेश पर्यावरण और कम्युनिटी सर्विस के लिए है।