‘क्रिकेट मेरे लिए नशा’, घरेलू क्रिकेट के ‘बादशाह’ वसीम जाफर का बयान

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घरेलू क्रिकेट में रनों और रिकॉर्डों का अंबार लगा चुके वसीम जाफर का कहना है कि क्रिकेट उनके लिए एक नशा है और वे इसी नशे की तलाश में 40 साल की उम्र में भी इस खेल में रमे हुए हैं. जाफर ने कहा कि उनके पास खेलने के लिए अब ज्यादा समय नहीं है, लेकिन जब तक उनके अंदर आग है, वे क्रिकेट के साथ अपना जुड़ाव जारी रखेंगे. वसीम जाफर पिछले दो सीजन से विदर्भ के लिए खेल रहे हैं. विदर्भ की टीम जाफर के टीम में आने के बाद दो साल में चार खिताब जीत चुकी हैं.

जाफर का करियर

वसीम जाफर ने इस साल रणजी ट्रॉफी में 1,037 रन बनाए और विदर्भ को रणजी ट्रॉफी का खिताब बचाए रखने में मदद की. वे रणजी ट्रॉफी इतिहास के सबसे सफल बल्लेबाज हैं. इसमें उनके नाम 11,775 रन हैं. साल 2000 में भारत के लिए पहला मैच खेलने वाले जाफर ने भारत के लिए 31 टेस्ट मैच खेले और 1944 रन बनाए. हालांकि, 2008 में टीम इंडिया से बाहर होने के बाद वे कभी भी वापसी नहीं कर सके.

सुधार की गुंजाइश हमेशा

वसीम जाफर मानते हैं कि किस्मत में जो होता है, वो होकर रहता है. इसी वजह से वे अपने अतीत से संतुष्ट तथा वर्तमान में क्रिकेट के सुरूर के साथ जीने का लुत्फ उठा रहे हैं. जाफर ने कहा, ‘मैं क्रिकेट खेलना, बल्लेबाजी करना पसंद करता हूं. इसका कारण यही है कि मैं अभी भी क्रिकेट का लुत्फ उठाता हूं. बल्लेबाजी करते हुए जो नशा होता है, उस नशे की तलाश मुझे अभी भी रहती है. मैं अभी भी सुधार करना चाहता हूं. मैं अभी भी अच्छा करना चाहता हूं.’

विदर्भ की जीत से बढ़ा नशा

मुंबई के रहने वाले जाफर ने कहा कि विदर्भ के साथ दो खिताबी जीत ने इस खेल के साथ उनके जुड़ाव और इससे जुड़े नशे में और इजाफा किया है. जाफर ने कहा, ‘जब आप अच्छा खेलते हो, उसका मजा ही कुछ और है. मैं इस मजे को आसानी से छोड़ना नहीं चाहता. जब तक वो आग लगी हुई है, तब तक मैं खेलता रहूंगा. साथ ही विदर्भ के साथ जो दो सीजन गुजरे हैं, उसमें जिस तरह से हमने क्रिकेट खेली है और ट्रॉफी जीती हैं, उससे भी मेरा शौक बढ़ गया है.’