हिंदी सिनेमा की खूबसूरत अभिनेत्रियों में मधुबाला का नाम भी शुमार किया जाता था। आज उन्हीं खूबसूरत अभिनेत्री की 87वीं जयंती है। वेलेंटाइन डे वाले दिन जन्मीं इस खूबसूरत अदाकारा के हर अंदाज में प्यार झलकता था। उनमें बचपन से ही सिनेमा में काम करने की तमन्ना थी, जो आखिरकार पूरी हो गई। उन्हें ‘वीनस ऑफ इंडियन सिनेमा’ और ‘द ब्यूटी ऑफ ट्रेजेडी’ जैसे नाम भी दिये गए।
मधुबाला का जन्म 14 फरवरी, 1933 को दिल्ली में हुआ था। इनके बचपन का नाम मुमताज जहां देहलवी था। इनके पिता का नाम अताउल्लाह और माता का नाम आयशा बेगम था। शुरुआती दिनों में इनके पिता पेशावर की एक तंबाकू फैक्ट्री में काम करते थे। वहां से नौकरी छोड़ उनके पिता दिल्ली, और वहां से मुंबई चले आए, जहां मधुबाला का जन्म हुआ।
फिल्मी करियर की शुरुआत
मधुबाला ने सिर्फ 6 साल साल की उम्र में ही मायानगरी में अपने कदम रख दिए थे। उन्होंने फिल्मी करियर की शुरुआत साल 1942 की फिल्म ‘बसंत’ से की थी। इस फिल्म में उन्होंने बतौर चाइल्ड ऐक्टर की भूमिका में थी। यह काफी सफल फिल्म रही। इस फिल्म के बाद लोगों के बीच इस खूबसूरत अदाकारा की पहचान बनने लगी। उनके अभिनय को देखकर उस समय मशहूर अभिनेत्री देविका रानी बहुत प्रभावित हुई और मुमताज जेहान देहलवी को अपना नाम बदलकर ‘मधुबाला’ के नाम रखने की सलाह दी।
इन फिल्मों से बनी पहचान
साल 1947 में आई फिल्म ‘नील कमल’ मुमताज के नाम से आखिरी फिल्म थी। इसके बाद वह मधुबाला के नाम से जानी जाने लगीं। इस फिल्म में उन्होंने राजकपुर के साथ काम किया। मधुबाला उस समय सिर्फ 14 साल की थी। फिल्म ‘नील कमल’ में अभिनय के बाद से उन्हें सिनेमा की ‘सौंदर्य देवी’ कहा जाने लगा। दो साल बाद मधुबाला ने बॉम्बे टॉकिज की फिल्म ‘महल’ में अभिनय किया । इस फिल्म की सफलता के बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
इन बड़े कलाकारों के साथ काम किया
मधुबाला उस समय के सभी लोकप्रिय पुरुष कलाकारों के साथ उनकी एक के बाद एक फिल्में आती रहीं। मधुबाला ने उस समय के सफल अभिनेता अशोक कुमार, रहमान, दिलीप कुमार और देवानंद जैसे दिग्गज कलाकारों के साथ काम किया था।
आलोचनाओं की हुई शिकार
साल 1950 के दशक के बाद उनकी कुछ फिल्में असफल भी हुईं। असफलता के समय आलोचक कहने लगे थे कि मधुबाला में प्रतिभा नहीं है बल्कि उनकी सुंदरता की वजह से उनकी फिल्में हिट हुई हैं। इन सबके बाबजूद मधुबाला कभी निराश नहीं हुईं। कई फिल्में फ्लॉप होने के बाद साल 1958 में उन्होंने एक बार फिर अपनी प्रतिभा को साबित किया और उसी साल उन्होंने भारतीय सिनेमा को ‘फागुन’, ‘हावड़ा ब्रिज’, ‘काला पानी’ और ‘चलती का नाम गाड़ी’ जैसी सुपरहिट फिल्में दीं।
मधुबाला की शादी और बीमारी
साल 1960 के दशक में मधुबाला ने किशोर कुमार से शादी कर ली। शादी से पहले किशोर कुमार ने इस्लाम धर्म कबूल किया और नाम बदलकर करीम अब्दुल हो गए। उसी समय मधुबाला एक भयानक रोग से पीड़ित हो गई। शादी के बाद रोग के इलाज के लिए दोनों लंदन चले गए। लंदन के डॉक्टर ने मधुबाला को देखते ही कह दिया कि वह दो साल से ज्यादा जीवित नहीं रह सकतीं।
इसके बाद लगातार जांच से पता चला कि मधुबाला के दिल में छेद है और इसकी वजह से इनके शरीर में खून की मात्रा बढ़ती जा रही थी। डॉक्टर भी इस रोग के आगे हार मान गए और कह दिया कि ऑपरेशन के बाद भी वह ज्यादा समय तक जीवित नहीं रह पाएंगी। इसी दौरान उन्हें अभिनय छोड़ना पड़ा। इसके बाद उन्होंने निर्देशन में हाथ आजमाया। मधुबाला अपने माता-पिता ही नहीं 11 भाई बहन वाले परिवार में इकलौती थीं जिनकी कमाई से पूरे घर का खर्च चलता था।
मधुबाला का अफेयर
मधुबाला की बहन मधुर भूषण ने एक इंटरव्यू के दौरान उनके जीवन से जुड़े कई किस्से बताए थे। उन्होंने बताया कि मधुबाला को पहली बार प्रेमनाथ से प्यार हुआ था। यह रिलेशनशिप छह महीने ही चला था। धर्म के चलते यह टूट गया। प्रेमनाथ ने उनसे धर्म बदलने के लिए कहा लेकिन उन्होंने मना कर दिया। कहा जाता है कि मधुबाला को दूसरी बार दिलीप कुमार से प्यार हुआ था। यह अफेयर 9 साल तक चला। दोनों की मंगनी भी हो गई थी। लेकिन छोटी सी वजह से वे हमेशा के लिए बिछड़ गए।
कहा जाता है कि मधुबाला का अंदाज बेहद रोमांटिक था। खबरों की मानें तो मधुबाला जिस अभिनेता या डायरेक्टर के साथ काम करती थीं उसे प्रपोज कर देती थीं। मधुबाला अपनी हर फिल्म के निर्देशक और हीरो को देखते ही उनको प्यार हो जाता था। उनको प्रपोज करने का तरीका एक ही जैसा होता था। वो हर हीरो को एक गुलाब का फूल ओर लव लेटर देकर प्रपोज करती थी।
मधुबाला ने इन फिल्मों में किया काम
उन्होंने लगभग 70 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया। उन्होंने ‘बसंत’, ‘फुलवारी’, ‘नील कमल’, ‘पराई आग’, ‘अमर प्रेम’, ‘महल’, ‘इम्तिहान’, ‘अपराधी’, ‘मधुबाला’, ‘बादल’, ‘गेटवे ऑफ इंडिया’, ‘जाली नोट’, ‘शराबी’ और ‘ज्वाला’ जैसी फिल्मों में अभिनय से दर्शकों को अपनी अदा का कायल कर दिया।
खैर साल 1969 में उन्होंने फिल्म ‘फर्ज’ और ‘इश्क’ का निर्देशन करना चाहा, लेकिन यह फिल्म नहीं बनी और इसी वर्ष अपना 36वां जन्मदिन मनाने के नौ दिन बाद 23 फरवरी,1969 को बेपनाह हुस्न की मलिका दुनिया को छोड़कर चली गईं। मधुबाला भले ही अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन मनोरंजन-जगत में उनका नाम हमेशा अमर रहेगा।