जमाल ख़ाशुक़जी की हत्या करने वाली टीम के प्रमुख सदस्य सऊद अलक़हतानी का अंजाम क्या हुआ?

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अमरीकी अख़बार वाशिंग्टन पोस्ट ने एक सवाल उठाया है कि सऊदी रायल कोर्ट के प्रमुख सलाहकार, क्राउन प्रिंस मुहम्मद बिन सलमान के क़रीबी व्यक्तियों में से एक तथा वरिष्ठ पत्रकार जमाल ख़ाशुक़जी की इस्तांबूल में होने वाली हत्या के प्रमुख आरोपी सऊद अलक़हतानी का क्या अंजाम हुआ।

सऊद अलक़हतानी कहीं नज़र नहीं आते  और न ही कोई ख़बर मिल रही है कि वह अचानक कहां ग़ायब हो गए।

लेखक करीम फ़हीम का कहना है कि सऊद अलक़हतानी को जान बूझ कर सामने से हटा दिया गया है। सऊदी सरकार ने एलान किया था कि उनसे इस मामले में जांच चल रही है मगर सात सप्ताह गुज़र गए और वह कहीं भी दिखाई नहीं दे रहे हैं। सऊद अलक़हतानी को आख़िरी बार जेद्दा नगर में देखा गया था। यह बात भी रियाज़ में सऊदी रायल कोर्ट में काम करने वाले एक व्यक्ति के हवाले से सामने आई। कुछ सूत्र कहते हैं कि ऐसा लगता है कि सऊद अलक़हतानी को उनके आवास पर ही नज़रबंद कर दिया गया है।

वाशिंग्टन सहित दुनिया के कई देशों की राजधानियों की ओर से इस बात पर गहरी नज़र रखी जा रही है कि सऊदी सरकार जमाल ख़ाशुक़जी के हत्यारों के साथ किस प्रकार का बर्ताव कर रही है और जहां तक क़हतानी का सवाल है तो जमाल ख़ाशुक़जी की हत्या में उनकी भूमिका के बारे में बहुत से प्रश्न हैं जिनके उत्तर की प्रतीक्षा है। सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या क़हतानी ने खुद ही ख़ाशुक़जी की हत्या की योजना बना ली या वरिष्ठ नेतृत्व की योजना को अंजाम दिया।

सऊद अलक़हतानी का पूरा नाम सऊद बिन अब्दुल्लाह बिन सालिम आले क़ासिम अलक़हतानी है। उनका जन्म रियाज़ नगर में 7 जून 1978 को हुआ और इसी नगर में उन्होंने शिक्षा ली।

वर्ष 2015 से सऊद अलक़हतानी को रायल कोर्ट में महत्वपूर्ण पद मिले औज्ञ उन्हें मंत्री स्तर का सलाहकार बनाया गया। वैसे वह सन 2000 के बाद से ही महत्वपूर्ण सरकारी पदों पर असीन रहे हैं।

मुहम्मद बिन सलमान के क्राउन प्रिंस बनने के बाद सऊद अलक़हतानी का अधिकार क्षेत्र काफ़ी बढ़ गया। वह बिन सलमान की ओर से सुरक्षा विभाग के बड़े अधिकारियों को आदेश देते थे। क़हतानी का महत्व इतना बढ़ गया था कि उनके बारे में दिवंगत पत्रकार जमाल ख़ाशुक़जी ने न्यूज़ वीक के साथ बातचीत में बताया  था कि क़हतानी शाह अब्दुल्लाह के शासन काल में रायल कोर्ट में मीडिया प्रभारी थे और उनसे मेरी अच्छी दोस्ती थी। उन्हें मीडिया और रायल कोर्ट के बीच की कड़ी समझा जाता था। ख़ाशुक़जी का मानना था कि क़हतानी के पास सऊदी सरकार के समस्त विद्रोहियों की पूरी सूची थी और वह ख़ाशुक़जी को भी अमरीका से सऊदी अरब वापस आने पर तैयार  करने की कोशिश कर रहे थे।

जिस समय सऊदी अरब ने क़तर को अलग थगल करने और उसकी घेराबंदी की कोशिश की तो क़हतानी सबसे अधिक सक्रिय दिखाई देते थे और मीडिया में सबसे अधिक उत्तेजक बयान उनकी ओर से आते थे। क़हतानी ने क़तर की जनता में अपने देश की सरकार के विरुद्ध आक्रोश की कई झूठी ख़बरें मीडिया में फैलाईं। यह भी कहा जाता है कि क़हतानी ने ट्रोल सेना भी तैयार कर ली थी जो सोशल मीडिया पर सक्रिया हो गई। इस सेना का काम सऊदी अरब या बिन सलमान के विरुद्ध कोई भी बयान देने या लेख लिखने वाले पर ज़ोरदार हमला करना है।

क़हतानी ने अगस्त 2017 में अपने एक ट्वीट में कहा था कि आप समझते हैं कि मैं बग़ैर निर्देश के अपने मन से सब कुछ लिख देता हूं? मैं तो सर्वेंट हूं और अपने बास के निर्देशों का पालन करता हूं, मेरे बास क्राउन प्रिंस हैं।

क़हतानी इस समय नज़रों से ग़ायब हैं और कुछ लोग यह आशंका जता रहे हैं कि सऊदी क्राउन प्रिंस मुहम्मद बिन सलमान ख़ुद को बचाने के लिए हो सकता है कि सऊद अलक़हतानी जैसे अपने क़रीबी लोगों को बलि का बकरा बना दें, मगर क्या इस तरह बिन सलमान बच पाएंगे?