तमिलनाडु के तूतिकोरिन में पुलिस हिरासत में हुई पिता और पुत्र की मौत में नया खुलासा हुआ है। जांच में पता चला है कि दोनों को पुलिस ने पूरी रात बुरी तरह पीटा था। जांच कर रहे मजिस्ट्रेट ने हाईकोर्ट के सामने अपनी रिपोर्ट रख दी है और पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। मजिस्ट्रेट की पूछताछ में पता चला है कि पी. जयराज और उनके बेटे बेनिक्स को सनाथकुलम थाने में सुबह तक पीटा गया था।
कोविलपुट्टी के मजिस्ट्रेट इस मामले की जांच कर रहे हैं और उन्होंने अपनी रिपोर्ट बताया है कि चश्मदीदों के मुताबिक, पिता-पुत्र को सुबह तक पीटा गया था। थाने की हेड कांस्टेबल रेवाठी ने मजिस्ट्रेट को ये जानकारी दी। साथ ही ये भी बताया कि लाठी पर खून के निशान थे।
रिपोर्ट में ये भी बताया गया है 28 जून की दोपहर जब वो सनाथकुलम पुलिस स्टेशन पहुंचे तो वहां एएसपी और एसपी पहले से ही मौजूद थे। दोनों अफसरों ने मजिस्ट्रेट को सैल्यूट तक नहीं किया। वहीँ अब इस मामले में पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या और सुबूत मिटाने का का मामला दर्ज़ किया गया है।
मजिस्ट्रेट ने अपनी रिपोर्ट में ये भी बताया कि पुलिस स्टेशन में 19 जून के सीसीटीवी फुटेज नहीं थे। रिपोर्ट में बताया गया कि सीसीटीवी फुटेज की स्टोरेज लिमिट एक टीबी है, उसके बावजूद ऐसी सेटिंग की गई है कि हर दिन फुटेज डिलीट हो जाती है।
मद्रास उच्च न्यायालय ने तूतिकोरिन में पुलिस की कथित यातना से पिता-पुत्र की मृत्यु के मामले में जांच मंगलवार को सीबी-सीआईडी को स्थानांतरित करने का आदेश दिया। अदालत ने आशंका जताई कि सीबीआई द्वारा जांच का जिम्मा संभालने तक सबूत गायब हो सकते हैं। न्यायाधीशों ने सीबी-सीआईडी के डीएसपी अनिल कुमार को जांच अधिकारी नियुक्त किया और यह कहते हुए उन्हें तुरंत जांच शुरू करने का निर्देश दिया कि ‘शारीरिक हिंसा के मामले में, जांच में सतर्कता समय की जरूरत है।’
न्यायमूर्ति पी एन प्रकाश और न्यायमूर्ति बी पुगलेंधी की खंडपीठ ने कहा कि वे यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं कि अति महत्त्वपूर्ण साक्ष्य इस समय में खत्म न हों। पीठ ने कहा, अगर हम अब कार्रवाई नहीं करते हैं, तो बहुत देर हो जाएगी। केंद्र को सीबीआई जांच के लिए सहमति देनी चाहिए। इसके अलावा, सीबीआई का तूतिकोरिन में कोई कार्यालय नहीं है, और अगर सीबीआई द्वारा एक जांच अधिकारी नियुक्त किया भी जाए तो उसे स्थानीय माहौल में जांच शुरू करने में समय लगेगा।
राज्य सरकार ने सोमवार को मामले की जांच केंद्रीय जांच एजेंसी को स्थानांतरित कर दी थी। अदालत ने कहा कि अनिल कुमार को चेन्नई में डीजीपी के किसी औपचारिक आदेश की प्रतीक्षा किए बिना कार्यभार संभाल लेना चाहिए और जांच शुरू करनी चाहिए। जांच की निगरानी
न्यायाधीशों का कहना है कि सीबी-सीआईडी को मामले का तत्काल हस्तांतरण इसलिए किया गया ताकि जनता का विश्वास खत्म न हो जाए। पीठ ने अंतरिम व्यवस्था पर राज्य सरकार से राय मांगी लेकिन मामले को सीबी-सीआईडी को हस्तांतरित कर दिया।
पीठ ने कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट (प्रारंभिक) और न्यायिक मजिस्ट्रेट की रिपोर्ट में इस मामले में हत्या का मामला दर्ज करने के लिए प्रथम दृष्टया सामग्री मौजूद है। अदालत ने कहा कि मामले की जांच में एक सेकंड की भी देरी नहीं होनी चाहिए और सीबी-सीआईडी को तुरंत जांच करने का निर्देश दिया।