गोरखपुर : गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज अस्पताल के निलंबित शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर कफ़ील ख़ान विभागीय जांच में निर्दोष पाए गए हैं. बीआरडी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में 10 अगस्त 2017 को ऑक्सीजन की कमी से कई बच्चों की मौत हुई थी. डॉक्टर कफ़ील को लापरवाही, भ्रष्टाचार और ठीक से काम नहीं करने के आरोप में सस्पेंड किया गया था. लेकिन अब विभागीय जांच रिपोर्ट में डॉक्टर कफ़ील को सभी आरोपों से मुक्त कर दिया गया है. इससे पहले डॉक्टर कफ़ील ख़ान इन्हीं आरोपों में 8 महीने की जेल काट चुके हैं. ये जांच रिपोर्ट भी इस साल 18 अप्रैल को ही आ गई थी लेकिन डॉ कफ़ील को कल ही दी गई. क्लीनचिट मिलने के बाद डॉ. कफील ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा कि क्लीनचिट मिलने से वह काफी खुश हैं. जांच रिपोर्ट में आने में दो साल लग गए हालांकि उनको न्याय की उम्मीद थी. लेकिन 2 सालों तक उनके परिवार ने प्रताड़ना बर्दाश्त की है.
मैं काफ़ी ख़ुश हूं मुझे सरकार से ही क्लीनचिट मिली : डॉक्टर कफील
एनडीटीवी से बातचीत में डॉक्टर कफील खान ने कहा, ‘मैं काफ़ी ख़ुश हूं मुझे सरकार से ही क्लीनचिट मिली है. पर मेरे ढाई साल वापस नहीं आ सकते. अगस्त 2017 में गोरखपुर में लिकविड ऑक्सिजन कमी से 70 बच्चों की मौत हुई थी. मैंने बाहर से ऑक्सीजन सेलेंडर मंगा कर बच्चों की जान बचाई. उस समय के बड़े अधिकारियों और स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह को बचाने के लिए मुझे फंसाया गया. मुझे 9 महीनों के लिए जेल भेज दिया गया जहां टॉयलेट में बंद कर दिया जाता था. जब मैं जेल से वापस आया तो मेरी छोटी बेटी ने मुझे पहचाना तक नहीं. मेरा परिवार सौ-सौ रुपए के लिए मोहताज हो गया था’. कफील ने आगे कहा, मेरे भाई पर हमला कराया गया. अप्रैल 2019 को सरकार की जांच पूरी हो गई थी पर मुझे अब ये रिपोर्ट सौंपी गई है. मैं चाहता हूं कि जो 70 बच्चे मरे उनको इंसाफ मिले. मैं उम्मीद करता हूं कि योगी सरकार मेरा निलंबन वापस लेगी’.
Those parents who lost their infants are still waiting for the justice.I demand that government should apologize and give compensation to the victim families.@PTI_News @TimesNow @myogiadityanath @narendramodi @ndtv @ravishndtv @abhisar_sharma @yadavakhilesh @RahulGandhi @UN pic.twitter.com/WaTwQSCUuZ
— Dr Kafeel Khan (@drkafeelkhan) September 27, 2019
कब क्या हुआ :
गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 10 अगस्त 2017 को ऑक्सीजन की कमी के चलते कई बच्चों की मौत हो गई.
अखबारों और सोशल मीडिया में डॉ कफील को हीरो बताया गया क्योंकि उन्होंने बाहर से सिलेंडर मांगकर कई बच्चों की जान बचाई.
22 अगस्त को डॉ. कफील को लापरवाही बरतने और तमाम गड़बड़ियों के आरोप में सस्पेंड कर दिया गया.
2 सितंबर 2017 को डॉक्टर कफील को जेल भेज दिया गया.
25 अप्रैल 2018 को 8 महीने बाद डॉ. कफील को जमानत मिल गई.
मार्च 2019 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरकार को आदेश दिया कि डॉ. कफील की जांच पूरी होने के बाद 90 दिन के अंदर उनको सौंपी जाए.
यह जांच रिपोर्ट 18 अप्रैल 2019 को आ गई थी. लेकिन डॉ. कफील को 26 सितंबर को दी गई.