तबलीगी जमात से जुड़े 2 हज़ार से ज्यादा विदेशियों की भारत यात्रा पर 10 साल का लगा बैन

   

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने तबलीगी जमात के कुल 2,550 विदेशी सदस्यों को काली सूची में डाला दिया है। ये सभी अगले दस वर्षों तक भारत नहीं आ सकेंगे। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि ये नागरिक टूरिस्ट वीजा पर भारत आकर तबलीगी जमात की गतिविधियों में शामिल हुए थे। इन नागरिकों को वीजा नियमों का उल्लंघन करने के लिए 10 साल के लिए प्रतिबंधित किया गया।

दरअसल, कोरोना संकट के दौरान दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज में एक मजहबी जलसे में शामिल होने के विदेशी नागरिक भी पहुंचे थे। इस जलसे में शामिल जब कुछ लोगों को कोरोना हुआ और कुछ की जान चली गई तो तबलीगी जमात के कार्यक्रम की जानकारी हुई। इसी के साथ जमात में शामिल होने के लिए विदेश से आने वाले नागरिकों की चालबाजी भी पकड़ी गई है।

तबलीगी जमात से जुड़े लोगों की ट्रेसिंग के दौरान कुछ विदेशी नागिरक पकड़े गए। जब इनकी जांच की गई तो तमाम जमातियों के पास से टूरिस्ट वीजा बरामद हुआ। इससे पता चला कि विदेशी नागरिक टूरिस्ट वीजा पर भारत आते हैं और यहां मजहबी गतिविधियों में हिस्सा लेते थे।

इन देशों के हैं नागरिक:

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक , काली सूची में डाले गए विदेशियों में माली, नाइजीरिया, श्रीलंका, केन्या, जिबूती, तंजानिया, दक्षिण, अफ्रीका, म्यांमार, थाईलैंड, बांग्लादेश, यूके ऑस्ट्रेलिया और नेपाल के नागरिक शामिल हैं।

दरअसल, मार्च के महीने में राजधानी दिल्ली के निजामुद्दीन के तबलीगी जमात में बड़ा धार्मिक जमावड़ा हुआ था जो देश में कोरोना संक्रमण का सबसे बड़ा हॉट स्पॉट बनकर उभरा था। इनमें से कुछ लोग जो कोरोना पॉजिटिव पाए गए वे वहां से अपने गृह राज्य की यात्राएं की, जिसकी वजह से और ज्यादा कोरोना केस फैला। गृह मंत्रालय के कार्यालय ने दिल्ली पुलिस और अन्य राज्यों के पुलिस प्रमुखों को विदेशी कानून और आपदा प्रबंधन कानून के तहत इनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने को कहा था।

दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने बीते 28 मई को तबलीगी जमात से जुड़े तीन देशों के 541 विदेशी नागरिकों के खिलाफ दिल्ली की साकेत कोर्ट में 12 आरोप पत्र दायर किए। कोर्ट 25 जून को मामले की सुनवाई करेगी। दिल्ली पुलिस इससे पहले 32 देशों के 374 विदेशी नागरिकों के खिलाफ आरोप पत्र दायर कर चुकी है।  अधिकारियों ने बताया कि तबलीगी जमात के सदस्यों के खिलाफ आरोप लगाए गए हैं कि उन्होंने वीजा नियमों एवं महामारी संबंधी कानून के तहत सरकारी दिशानिर्देशों का उल्लंघन किया तथा ऐसी लापरवाही की जो जानलेवा बीमारी फैलाने की वजह बन सकती है।