दूसरों पर भरोसा करने से नुकसान हुआ, संघर्ष से हम हर लड़ाई जीतेंगे : अखिलेश

   

लखनऊ : समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव इस समय चुनौतियों से घिरे हैं। लोकसभा चुनाव के नतीजे प्रतिकूल रहे। जो कल साथ लड़े, आज वे मुखालफत कर रहे हैं और तोहमत भी लगा रहे हैं। पार्टी के कई नेता मुकदमों से जूझ रहे हैं और कार्यकर्ता भविष्य के सवालों से। अखिलेश का कहना है कि संगठन, संघर्ष और भरोसे से हम हर लड़ाई जीतेंगे। दूसरों पर भरोसे का नुकसान भी हुआ है। संगठन को दोबारा से चुस्त-दुरुस्त करेंगे और जनता की आवाज उठाएंगे, संघर्ष करेंगे। अब आगे बढ़ने का वक्त है। तमाम मौजूं मुद्दों पर अखिलेश यादव ने नवभारत टाइम्स से विशेष बातचीत की :
सवाल: पहले विधानसभा और फिर लोकसभा चुनाव में गठबंधन। क्या सबक मिला?

जवाब: बीजेपी को हराने के लिए अपने संगठन को ठीक करना और उसके सहारे लड़ना अधिक कारगर है। दूसरों पर भरोसा करने से नुकसान ही हुआ। संगठन और कार्यकर्ताओं को लगा कि दूसरों के साथ आने से हम आसानी से जीत जाएंगे। अब विधानसभा चुनाव अकेले लड़ेंगे।

सवाल: नतीजों के बाद आप एसपी-बीएसपी कार्यकर्ताओं को धन्यवाद दे रहे हैं, जबकि बीएसपी प्रमुख मायावती का कहना है कि एसपी के वोट ट्रांसफर नहीं हुए?

जवाब: अगर वोट ट्रांसफर नहीं होते तो हर सीट पर गठबंधन को 4-5 लाख वोट कहां से मिलते। वोट तो हमें खूब मिले, लेकिन वह अपेक्षित नतीजों में नहीं बदल सके।

सवाल: सरकार का कहना है कि मंत्रिमंडल में फेरबदल सामान्य प्रक्रिया है?
जवाब: हटाए जाने के बाद एक मंत्री ने कहा कि अगर मैं भ्रष्टाचारी साबित हुआ तो मुझे जेल में डाल देना। एक मंत्री को इसलिए हटाया गया कि उसके बूथ पर एसपी को अधिक वोट मिले थे। क्या यह सामान्य बात है? ढाई साल से हमारे किए कामों का फिर से उद्‌घाटन कर रहे हैं। न निवेश ला पाए, न रोजगार। पेंशन योजनाएं जरूर बंद कर दी गईं।

सवाल: आप आजम खान के खिलाफ मुकदमों की लड़ाई लड़ने रामपुर जा रहे थे। जब आप सीएम थे, तब अफसरों द्वारा लिए गए फैसलों के मायने अब कैसे बदल गए?
जवाब: राजनीतिक नेतृत्व बदलता है, लेकिन प्रशासन वही रहता है। जो सरकार प्रशासन को न्याय करने देती है उस पर जनता का भरोसा बढ़ता है। यहां तो सरकार ही अन्याय करने पर तुली है। मुझे मोहर्रम का हवाला देकर रुकने को कहा गया। मैने मान लिया। अब 13-14 सितंबर को रामपुर जाऊंगा।

सवाल: लोकसभा चुनाव के नतीजे योगी सरकार के ढाई साल के काम पर मुहर माने जा रहे हैं?
जवाब: केंद्र के 100 दिन में से 1 हटा दीजिए, जो बचा वही उनकी उपलब्धि है। मोदी-योगी सरकार को इतना अच्छा समर्थन मिला, लेकिन वे कहीं रिजल्ट नहीं दे सके। कानून-व्यवस्था व भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की बात कर रहे थे, लेकिन जनता को गोली मारी जा रही है और लोकभवन के शीशे बुलटप्रूफ करवाए जा रहे हैं। सरकार ने मंत्रियों को हटाया है यानी खुद मान रही है कि वे भ्रष्ट हैं।

सवाल: हालिया चुनौती उपचुनाव की है, कैसे निपटेंगे?
जवाब: हमीरपुर का ही उपचुनाव घोषित हुआ है। वहां व कुछ अन्य सीटों पर प्रत्याशी घोषित हो चुके हैं। संगठन लगा है, कार्यकर्ता मेहनत कर रहे हैं। हमें उम्मीद है कि जनता बीजेपी के झूठ को दरकिनार कर हमारे काम पर मुहर लगाएगी।

सवाल: आप कहते हैं केंद्र-प्रदेश सरकार ने कुछ किया नहीं तो परिणाम उनके पक्ष में क्यों गए?
जवाब: क्योंकि हम काम पर वोट मांग रहे थे, लेकिन वह हिंदू और मुसलमान पर वोट मांग रहे थे। हम उनके ‘प्रॉपेगैंडा तंत्र’ को नहीं तोड़ पाए।

सवाल: आपकी भाषा में अगर इसे बीजेपी का ‘प्रॉपेगैंडा तंत्र’ मान लें तो आप जनता को ‘सही बात’ क्यों नहीं समझा पा रहे?
जवाब: मीडिया का रुख पक्षपाती है। सबसे बड़ा पैकेज मीडिया को इस समय दिया गया है। जो थोड़ी-बहुत मुखालफत कर रहे थे, उन्हें एयरपोर्ट पर रोक दिया गया।

सवाल: यह आरोप तो सत्ता पक्ष भी मीडिया पर लगाता है। आपका अपना तंत्र क्या है? जनता के मुद्दे पर आपकी क्या सक्रियता है?
जवाब: जनता खुद ही सड़कों पर आना चाहती है। हमने 9 अगस्त को जनता के उत्पीड़न को लेकर पूरे प्रदेश में प्रदर्शन किया था। 1 अक्टूबर को हम फिर तहसील स्तर तक प्रदर्शन करेंगे। सरकार गांधीजी पर विशेष सत्र आयोजित कर रही है। बापू के दो सिद्धांत हैं ‘सत्य और अहिंसा’। बताओ! इसका कितना पालन यह सरकार का रही है। 12 अक्टूबर को लोहियाजी की पुण्यतिथि से हम गांव-गली, जिला स्तर पर बीजेपी के झूठ के खिलाफ अभियान छेड़ेंगे। जनता को हम गांधी, आंबेडकर, लोहिया, जनेश्वर के मूल विचारों से अवगत करवाएंगे। इस तरह हम सरकार की नाकामियों का पर्दाफाश करेंगे।

सवाल: लेकिन, इसके लिए संगठन को हौसला तो देना होगा?
जवाब: नई टीम की घोषणा जल्द की जाएगी। हमारे कार्यकर्ता पूरी तरह से तैयार और मुस्तैद हैं। नियमित दौरे और संवाद से संगठन को और चुस्त करेंगे। संगठन नहीं होगा तो कामयाबी नहीं होगी।

सवाल: आरोप लगते हैं कि पुराने चेहरों की उपेक्षा की जा रही है?
जवाब: आरोप बीजेपी के गढ़े हुए हैं। ये लोग (अहमद हसन, राजेंद्र चौधरी, नरेश उत्तम पटेल… और पार्टी के कुछ और बुजुर्ग चेहरों की ओर इशारा करते हुए) ये पुराने लोग नहीं है? सब साथ हैं, सबका सम्मान है और सभी समाजवादी विचारों के लिए लड़ने को कटिबद्ध हैं।

सवाल:कुछ सांसद, नेता तो पार्टी छोड़कर चले गए?
जवाब: जो गए वे छोड़कर जाने के लिए ही आए थे। तमाम लोग पार्टी की नीतियों में विश्वास व्यक्त करते हुए साथ भी आ रहे हैं।