निर्भया के दोषियों को एक साथ दी गई फांसी, रात 3:30 बजे तक चली थी सुनवाई

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देश की सर्वोच्च अदालत के दरवाजे एक बार फिर रात को फांसी के दोषियों की अंतिम गुहार पर खुल गए. साल 2012 में निर्भया गैंगरेप व हत्या में फांसी की कतार में खडे पवन गुप्ता की दया याचिका राष्ट्रपति के यहाँ से खारिज हो गई थी. इस पर सुप्रीम अदालत से फांसी पर रोक लगाने की याचिका में मांग की गई है. सुप्रीम कोर्ट के ओब्जर्वर ने कहा कि हम दलीले सुनने के इच्छुक नहीं हैं. रात 2.30 बजे से स्पेशल बेंच ने दोषियों के वकील एपी सिंह की याचिका पर सुनवाई की और उनकी दलीले खारिज कर दी. यह सुनवाई लगभग 3:30 बजे तक चली.

सुनवाई के दौरान निर्भया की मात और पिता भी थे.

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता सुप्रीम कोर्ट पहुंचे. उन्होने गैंगरेप मामले में मौत की सजा के दोषियों की याचिका का विरोध करने व उनके फांसी रोक न लगाने के लिए सरकार की ओर से पेश हुए.

2012 दिल्ली सामूहिक बलात्कार मामले में मौत की सजा पाने वाले अधिवक्ता एपी सिंह ने दलील देते हुए कहा – मुझे पता है कि उन्हें फांसी दी जाएगी, लेकिन क्या यह (फांसी) पवन के बयान को दर्ज करने के लिए दो-तीन दिनों के लिए रोक दी जा सकती है.

मौत की सजा के अभियुक्तों के वकील एपी सिंह ने अदालत से कहा कि दोषियों के परिवार के सदस्यों को आखिरी बार 5-10 मिनट के लिए उनसे मिलने की अनुमति दें. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि जेल के नियम इसकी अनुमति नहीं देते हैं और यह दोनों पक्षों के लिए दर्दनाक है.

बता दे कि इससे पहले दिल्ली उच्च न्यायालय ने निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले में मौत की सज़ा पाए चार में से तीन दोषियों की याचिका को गुरुवार देर रात को खारिज कर दिया. इस याचिका में तीन दोषियों ने निचली अदालत द्वारा उनकी फांसी पर रोक नहीं लगाने के फैसले को चुनौती दी थी. निर्भया के गुनाहगारों को शुक्रवार सुबह फांसी दी जानी है.

न्यायमूर्ति मनमोहन सिंह और न्यायमूर्ति संजीव नरूला की पीठ ने देर रात की सुनवाई में दोषियों की याचिका खारिज करते हुए कहा कि इसमें कोई मेरिट नहीं है. निचली अदालत ने गुरुवार दोपहर में अक्षय कुमार सिंह, पवन गुप्ता, विनय शर्मा की मृत्यु वारंट पर रोक की मांग करने वाली याचिका खारिज कर दी थी.

इससे पहले देर रात सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय ने कहा था कि मामले के चौथे दोषी की ओर से दया याचिका दायर करने में देरी दिखाती है कि कोई साजिश है और कोई व्यवस्था से खेल रहा है.

पीठ ने कहा कि दया याचिका दायर करने में काफी देरी हुई और दोषियों की ओर से पेश हुए वकील से मजबूत कानूनी बिंदु पेश करने का आग्रह किया.

वकील ने उच्च न्यायालय से आग्रह किया कि वह फांसी को तीन-चार दिन के लिए टाल दें ताकि वह अपने मामले से अवगत करा सकें. बहरहाल, पीठ ने कहा कि यह चौथा मृत्यु वारंट है और दोषियों की तरफ से पहले ही काफी देरी की जा चुकी है.

पीठ ने कहा कि आपको रोक के लिए वाजिब दलीलें देनी होंगी. अगर आप वाजिब दलीलें नहीं देंगे तो हम रोक नहीं लगा सकते हैं. आपका ढीला-ढाला रवैया है.

उन्होंने कहा कि रात को 11 बजे हम आपसे कह रहे हैं कि कृपया पॉइंट पर आइए. आप पॉइंट पर नहीं आ रहे हैं. पीठ ने आगे कहा कि याचिका में कोई आधार नहीं है और वकील से मजबूत कानूनी बिंदु रखने को कहा.

पीठ ने दोषियों के वकील से कहा कि वक्त ज़ाया नहीं करें, क्योंकि सुबह साढ़े पांच बजे याचिका निरर्थक हो जाएगी. पीठ ने कहा, ”हम उस समय के बहुत निकट हैं जब आपके मुवक्किल ईश्वर से मिलेंगे. इसलिए वक्त बरबाद नहीं करें.”

उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि अक्षय कुमार सिंह की पत्नी की तलाक की लंबित अर्जी उसके मुत्युदंड पर रोक लगाने के लिए प्रासंगिक नहीं है. पीठ ने कहा कि उच्चतम न्यायालय पहले ही व्यवस्था दे चुका है कि तलाक की अर्जी प्रासंगिक नहीं है.

पीठ ने यह भी कहा कि चारों दोषियों को मौत की सजा की पुष्टि पर उच्चतम न्यायालय का फैसला अंतिम है और हम उसकी समीक्षा नहीं कर सकते. पीठ ने कहा, ”हम यह नहीं कह सकते हैं कि मृत्यु वारंट को लागू नहीं किया जाए, क्योंकि अक्षय की पत्नी की तलाक की अर्जी लंबित है.”