वहीं, अब इस पर आईआईटी कानपुर में एक उच्चस्तरीय जांच कमेटी गठित की गई है, जो इस बात की जांच कर रही है कि नज्म राष्ट्र विरोधी है या नहीं। कमेटी 15 दिन के भीतर रिपोर्ट आईआईटी निदेशक को देगी। सीएए के विरोध में जामिया विश्वविद्यालय के छात्रों ने प्रदर्शन किया था।
प्रदर्शन उग्र होने पर पुलिस को लाठियां चलानी पड़ी थीं। पुलिस की कार्रवाई का देशभर के छात्रों ने विरोध किया था। आईआईटी कानपुर के छात्रों ने भी प्रदर्शन करने की अनुमति आईआईटी प्रशासन से मांगी थी। शहर में धारा-144 लागू होने की वजह से आईआईटी प्रशासन ने इसकी अनुमति नहीं दी थी। इसके बावजूद छात्रों ने 17 दिसंबर को शांति मार्च निकाला था।
आरोप है कि सभा के दौरान छात्रों ने राष्ट्र और हिंदू विरोधी भाषणबाजी की। साथ ही पाकिस्तानी शायर फैज अहमद की नज्म गाई। कुछ छात्रों ने इसका विरोध भी किया था। इससे छात्रों के बीच तनाव हो गया था।
आईआईटी निदेशक प्रोफेसर अभय करंदीकर के मुताबिक जांच कमेटी से 15 दिन में रिपोर्ट मांगी गई है। अगर छात्र दोषी पाए गए, तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उनका संस्थान से निष्कासन तक किया जा सकता है। इस बारे में भी जांच की जांच की जा रही है कि बिना अनुमति शांति मार्च कैसे निकाल लिया।