बस टिकट से आजादी

   

इस वर्ष 15 अगस्त , स्वतंत्रता दिवस के दिन से दिल्ली में पब्लिक ट्रांसपोर्ट के क्षेत्र में एक बड़ा परिवर्तन आ सकता है। इसी दिन रक्षा बंधन भी है। कई वर्षों से यहां की पिछली सरकार और वर्तमान सरकार महिलाओं को भैया दूज और रक्षा बंधन के दिन मुफ्त यात्रा की सुविधा देती रही है।

सरकार के इरादे और बयानों तथा उसकी सरगर्मी से आभास होता है कि सरकारी यानि डीटीसी की बसों में महिलाओं को सदैव के लिये मुफ्त यात्रा की वह शीघ्र घोषणा कर सकती है। शायद यह घोषणा इस रक्षा बंधन के दिन हो सकती है और इसी दिन देश की आजादी के पर्व पर महिलाओं को यात्रा करने के लिये डीटीसी की बसों में टिकट खरीदने की औपचारिकता से आजादी मिल सकती है।

अगर ऐसा होता है तो इस दिन को क्या महिला सुविधा, सुरक्षा और टिकट मुक्ति दिवस के नाम से पुकारा जा सकेगा। लोग कह रहे हैं कि बसों की संख्या कम होती जा रही है और काफी बसें इतनी खराब हैं कि उन्हें मजबूरन चलाया जा रहा है। इस तथ्य में सचमुच सत्य समाहित है मगर सरकार बार बार कह रही है कि एक हजार नई बसें जल्द से जल्द डीटीसी के बेड़े में शामिल की जायेंगी।

सरकार अगर बसों में महिलाओं की मुफ्त यात्रा की घोषणा करती है तो वह इस व्यवस्था को कामयाब बनाने की हरेक कोशिश करेगी और उसे अपनी ऐसी शुरुआत में किसी तरह की बाधा उत्पन्न होने की चिंता को दूर करने की याद आती रहेगी। क्योंकि यह घोषणा विधान सभा चुनाव से कुछ महीने पहले की जा सकती है इसलिये सरकार इसे निरंतर कारगार रूप से जारी रखने के लिये कुछ भी करने से संकोच नहीं करेगी।

सवाल यह होता है कि लगातार घाटे के कारण चरमरा रही डीटीसी को मुफ्त यात्रा से होने वाले नुकसान की कैसे भरपाई संभव होगी। सरकार चाहे तो इसके लिये बसों में ऑडियो विज्ञापन चलाने, बड़े बड़े और अधिक यात्रियों को सेवा देने वाले बस स्टॉप की मेट्रो की तरह ब्रांडिंग की अनुमति देने और पॉश कालोनियो के निकट और प्रमुख सड़कों के पास के बस डिपो में खाली स्थान पर बजट होटल बनाने का काम कर सकती है।

ऐसा करने से विज्ञापन और बजट होटलों से होने वाली मोटी कमाई से घाटे को सीमित किया जा सकता है। दिल्ली सरकार ने कहा था कि वह मेट्रो में भी महिलाओं को ऐसी सुविधा देगी, हो सकता है इसे सिरे चढ़ाने में काफी देर लगे क्योंकि इसके लिये केन्द्र सरकार के शहरी कार्य मंत्रालय और दिल्ली सरकार को मिल कर फैसला करना है।

अगर 15 अगस्त को बसों में मुफ्त यात्रा का ऐलान किया जाता है तो महिलाओं को मेट्रो के बारे में भी आशा की किरण दिखने लगेगी।