भारतीय-अमेरिकी मुकुंद मोहन कोविड राहत कोष में घोटाला के लिए गिरफ्तार

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अमेरिकी अधिकारियों ने सिएटल में बसे मुकुंद मोहन को हिरासत में लिया है जो पेशे से एक सीरियल उद्यमी है और माइक्रोसॉफ्ट व एमेजॉन जैसी कंपनियों में एक्जीक्यूटिव के पद पर भी काम कर चुका है। उसे कथित तौर पर जाली दस्तावेजों के साथ पेचेक प्रोटेक्शन प्रोग्राम (पीपीई) को ठगने और कोविड-19 राहत कोष में 55 लाख डॉलर से अधिक गबन करने के लिए हिरासत में लिया गया है।

मोहन को गुरुवार को अमेरिकी अटॉर्नी कार्यालय द्वारा पीपीपी घोटाले में आरोपी पाए जाने के चलते गिरफ्तार किया गया।

उसने अपने खरीदे गए छह शेल कंपनियों के लिए पीपीपी अनुप्रयोगों के समर्थन में नकली और बदले गए दस्तावेज जमा कराए थे जिसमें नकली फेडरल टैक्स फाइलिंग और परिवर्तित निगमन दस्तावेज शामिल थे।

सिएटल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी अटॉर्नी ने आरोप लगाया है कि इसके बाद उसने अपने निजी लाभ के लिए कुछ पैसे अपने रॉबिनहुड ब्रोकरेज अकाउंट में ट्रांसफर कर दिया।

मोहन ने मैसूर विश्वविद्यालय में कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई की है और इसके बाद वह अमेरिका में माइक्रोसॉफ्ट की कंपनी में डायरेक्टर ऑफ इंजीनियरिंग बना। बेंगलुरू में वह स्टार्टअप ईकोसिस्टम में काफी मशहूर भी था।

फिलहाल मोहन कनाडा की रिटेल कंपनी बिल्डडायरेक्ट डॉट कॉम में मुख्य प्रौद्योगिकी अधिकारी के पद पर कार्यरत है। यह इमारत के निर्माण करने से जुड़ी सामग्रियों की एक ऑनलाइन कंपनी है।

रिपोर्ट के मुताबिक, फेडरल पीपीपी लोन का मकसद कोरोनावायरस महामारी के दौरान कर्मियों को बनाए रखने में व्यवसायों की मदद करने से है।

अमेरिकी अटॉर्नी कार्यालय के मुताबिक, लेकिन मोहन की कंपनियों में एक भी कर्मचारी को नियुक्त नहीं किया गया।

उदाहरण के तौर पर, मोहन ने महेंजो इंक नामक एक कंपनी के ऋणदाता के समक्ष जाली दस्तावेज प्रस्तुत कर उन्हें दिखाया कि उसके शेल फर्म में दर्जनों कर्मचारी हैं और कर्मियों के वेतन और पेरोल करों में वह लाखों डॉलर का भुगतान कर रहा है।

रिपोर्ट में कहा गया कि कार्यक्रम की देखरेख करने के लिए फेडरल एजेंसी द्वारा बनाए गए एक डेटाबेस के मुताबिक, मोहन ने ऋणदाता पीपल्स बैंक से दावा किया कि 431,250 डॉलर का पीपीपी लोन 24 नौकरियों को बनाए रखेगा।

मोहन ने वास्तव में महेंजो को मई में एजिंग शेल कॉपोर्रेशन में विशेषज्ञता वाली एक कंपनी से खरीदा।

मोहन पहले एमेजॉन बिजनेस में उत्पाद प्रबंधन के निदेशक के रूप में और माइक्रोसॉफ्ट के क्लाउड एंड एंटरप्राइज बिजनेस में इंजीनियरिंग के निदेशक के रूप में काम कर चुका है।

यूएस अटॉर्नी ने यह भी दावा किया कि मोहन को जिगैंटिक एलएलसी नामक एक दूसरी कंपनी के लिए भी पीपीपी लोन के तौर पर 304,830 डॉलर मिल चुके हैं। लोन एक ऐसे इंसान को दिया गया जिसके पास न तो बिजनेस लाइसेंस है और न ही उसने कभी कर्मचारियों के वेतन या पेरोल करों का भुगतान किया।

मोहन का बेटा कंपनी का चीफ मार्केटिंग अफसर है और इसका जिक्र उसके लिक्ंडइन के प्रोफाइल में किया गया है।

मोहन और जिन टेक कंपनियों में उसने काम किए हैं, किसी ने भी इस पर अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।