ममता बनर्जी ने तापस पॉल की मौत के लिए मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहराया

,

   

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को आरोप लगाया कि तृणमूल कांग्रेस नेता एवं अभिनेता तापस पॉल की मौत के लिए केंद्रीय एजेंसियों द्वारा बनाया गया दबाव और केंद्र सरकार की प्रतिशोध की राजनीति जिम्मेदार है। बता दें कि 61 वर्षीय पॉल का मंगलवार को मुंबई में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था। वह रोज वैल चिटफंड घोटाला मामले में आरोपी थे और करीब एक साल तक जेल में भी रहे थे।

बनर्जी ने पॉल को श्रद्धांजलि देते हुए आरोप लगाया कि तृणमूल कांग्रेस के एक और नेता सुल्तान अहमद की मौत भी दिल का दौरा पड़ने से हुई थी। ममता के अनुसार, वह 2017 नरादा टैप्स घोटाला मामले में आरोपी बताए जाने के बाद से तनाव में थे। कोलकाता के रबिन्द्र सदन में ममता ने पत्रकारों से कहा, ‘तापस पॉल पर केंद्रीय एजेंसियों का गहरा दबाव था और वह केन्द्र की प्रतिशोध की राजनीति के शिकार हुए।’ पॉल का पार्थिव शरीर रबिन्द्र सदन में रखा गया है ताकि लोग उन्हें श्रद्धांजलि दे सकें।

ममता ने कहा कि लोगों को जेल हो रही है लेकिन केंद्रीय एजेंसियां यह साबित नहीं कर पार रही हैं कि उन लोगों ने क्या अपराध किया है। यदि कोई व्यक्ति अपराध करता है तो उसे कार्रवाई का सामना करना चाहिए। लेकिन हम अभी भी नहीं जानते हैं कि तापस पाल और अन्य लोगों ने क्या अपराध किया था।

पॉल कृष्णानगर से दो बार सांसद और अलीपुर से विधायक रह चुके हैं। उनके परिवार में पत्नी और एक बेटी है। पॉल का जन्म हुगली जिले के चंदन नगर में हुआ था और हुगली मोहसिन कॉलेज ने उन्होंने स्नातक किया था।

सीबीआई ने 2016 में रोज़ वैली चिटफंड मामले में उन्हें गिरफ्तार किया था और करीब 13 महीने बाद उन्हें जमानत मिली थी। इसके बाद से ही उन्होंने फिल्मों और सक्रिय राजनीति दोनों से दूरी बना ली थी। उन्होंने ‘साहेब’ (1981), ‘परबत प्रिया’ (1984), ‘भालोबाशा भालोबाशा’ (1985), ‘अनुरागर चोयन’ (1986) और ‘अमर बंधन’ (1986) जैसी कई हिट फिल्में दी। फिल्म ‘साहेब’ (1981) के लिए उन्हें ‘फिल्मफेयर’ पुरस्कार भी मिला था। बॉलीवुड में उन्होंने अपनी पारी की शुरुआत 1984 में फिल्म ‘अबोध’ से की थी।

तृणमूल कांग्रेस से पॉल 2000 में जुड़े थे और 2001 में अलीपुर से विधायक चुने गए। रोज वैली चिटफंड घोटाले में 2016 में गिरफ्तार होने के बाद उनके परिवार के कई सदस्यों ने पार्टी पर उन्हें नजअंदाज करने का आरोप भी लगाया। 2018 में जेल से छूटने के बाद वह सक्रिय राजनीति से दूर हो गए थे और उन्होंने चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया था।