मशहूर लेखिका ने पद्मश्री लेने से किया इंकार, बोली- ‘सही वक़्त नहीं’

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गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर भारत सरकार ने 112 पद्म पुरस्कारों का एलान किया। इसमें जानी-मानी लेखिका गीता मेहता का भी नाम शामिल है। लेकिन लेखिका ने पद्मश्री सम्मान लेने से इनकार कर दिया है।

न्यूयॉर्क से जारी किए प्रेस बयान में उन्होंने कहा, ‘मैं भारत सरकार की बहुत आभारी हूं कि उन्होंने मुझे पद्मश्री के लायक समझा लेकिन बड़े अफसोस के साथ मुझे लगता है कि मुझे इसे अस्वीकार करना चाहिए क्योंकि आम चुनाव आने वाले हैं और ऐसे में अवॉर्ड को गलत समझा जा सकता है। जिससे कि सरकार और मुझे शर्मिंदगी उठानी पड़ सकती है और मुझे इसका पछतावा होगा।’

मेहता को साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र श्रेणी में इस सम्मान के लिए चुना गया था। गृह मंत्रालय के प्रेस नोट में उन्हें विदेशी के तौर पर वर्गीकृत किया गया है। सूत्रों के अनुसार वह भारतीय नागरिक हैं और उनके पास भारतीय पासपोर्ट है।

गीता ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की बड़ी बहन हैं। मेहता ने 1979 में कर्म कोला, 1989 में राज, 1993 में ए रिवर सूत्र, 1997 में स्नेक्स एंड लैडर्स: ग्लिम्पसिस ऑफ मॉडर्न इंडिया और 2006 में इटरनल गणेश: फ्रॉम बर्थ टू रीबर्थ जैसी किताबों को लिखा है।

उन्होंने 14 डॉक्यूमेंट्रियों का निर्माण या निर्देशन भी किया है। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लेखिका और उनके पति से 90 मिनट बातचीत की थी।

76 साल की मेहता ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री बीजू पटनायक और उनकी पत्नी ज्ञान पटनायक के तीन बच्चों (प्रेम, गीता और नवीन) में एक हैं। उन्होंने पब्लिशिंग हाउस अल्फ्रेड ए-नोफ के मुखिया सोनी मेहता से शादी की है।

शुक्रवार शाम को केंद्र ने राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद द्वारा अनुमोदन के बाद पद्म पुरस्कार विजेताओं की सूची में उनके नाम की घोषणा की थी।