मुंबई की अदालत ने कहा- मतदाता पहचान पत्र भी नागरिकता का प्रमाण है

   

देश भर में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के बीच मुंबई की एक अदालत ने कहा है कि मतदाता पहचान पत्र भी नागरिकता का प्रमाण है. मुंबई की एक मजिस्ट्रेट अदालत ने एक जोड़े को अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों के रूप में संदेह से बरी करते हुए ये बात कही है.

कोर्ट ने कहा है कि मूल पहचान पत्र नागरिकता का प्रमाण है, जब तक कि अन्यथा साबित न हो. बता दें कि इस दंपति को 2017 में अवैध रूप से भारत में प्रवेश करने और बिना दस्तावेज के मुंबई में रहने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.

कोर्ट ने बीते मंगलवार को जोड़े को बरी करते हुए कहा, ‘जन्म प्रमाण पत्र, निवास प्रमाण पत्र, मूल निवास प्रमाण पत्र, पासपोर्ट आदि को मूल प्रमाण के तौर पर माना जा सकता है.’

अदालत ने आगे कहा, “यहां तक कि वोटर कार्ड को भी नागरिकता का पर्याप्त प्रमाण कहा जा सकता है क्योंकि चुनाव कार्ड या मतदान कार्ड के लिए आवेदन करते समय, जन प्रतिनिधि अधिनियम के फार्म 6 के तहत एक व्यक्ति को प्राधिकरण के समक्ष नागरिक के तौर पर घोषणा पत्र दाखिल करना होता है कि वह भारत का नागरिक है. यदि घोषणा गलत पाया जाता है तो अमुक शख्स सजा के लिए उत्तरदायी होता है.”

अदालत ने कहा कि अब्बास शेख (45) और राबिया खातुन शेख (40) ने मूल दस्तावेज प्रस्तुत किए. जबकि अभियोजन पक्ष का कहना था कि ये दस्तावेज झूठे हैं लेकिन अभियोजन पक्ष के पास, आरोपी द्वारा पेश किए गए दस्तावेजी साक्ष्य को गलत साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं थे. इसलिए अदालत ने अपने आदेश में यह भी कहा, “अभियोजन पक्ष इस बात को स्थापित करने में विफल रहा है कि आरोपी द्वारा पेश दस्तावेज वास्तविक नहीं हैं.”

इसके अलावा, अदालत के आदेश में यह साफ कहा गया है कि आधार कार्ड, पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस या राशन कार्ड को किसी भी व्यक्ति की नागरिकता साबित करने वाले दस्तावेज नहीं कहा जा सकता है, जैसा कि इन दस्तावेजों में पहले से ही कहा गया है.