मेहरम के बिना महिलाओं के हज यात्रा पर जाना गलत!

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मेहरम के बिना महिलाओं के हज यात्रा पर जाने को लेकर देवबंदी उलमा ने कड़ा एतराज जताया है। उलमा का कहना है कि बिना मेहरम हज नहीं हो सकता। तमाम मुस्लिम तंजीमों को इसका विरोध करना चाहिए।

दारुल उलूम निसवा के नायब मोहतमिम मौलाना नजीफ कासमी ने कहा कि अकेले महिलाओं के हज पर जाने से वहां का माहौल खराब हो सकता है। बिना मेहरम के हज नहीं हो सकता, जैसे बिना वजू के नमाज नहीं हो सकती उसी तरह जिन महिलाओं ने अकेले हज करने के लिए फार्म भरे है उनका हज ही नहीं होगा। जबकि दारुल उलूम इस पर फतवा भी जारी कर चुका है।

उन्होंने महिलाओं के बिना मेहरम के हज यात्रा पर जाने के मामले में तर्क देते हुए कहा कि महिलाएं अगर अकेले हज के लिए जाएंगी तो वहां का माहौल खराब हो सकता है। इसलिए महिलाओं को मेहरम के साथ ही हज पर जाने का हुक्म दिया गया है।

मौलाना नजीफ ने कहा कि इस्लाम में पांच अहम इबादतें है उनमें से एक अहम इबादत हज करना भी है इस्लाम में इसकी बड़ी अहमियत है। इस्लाम के अंदर हज करने के लिए कुछ तरीके बताए गए हैं, उसकी कुछ शर्तें भी हैं। उसके मुताबिक ही हज करना चाहिए।

दारुल उलूम जकरिया के मोहतमिम मौलाना मुफ्ती शरीफ खान कासमी ने कहा कि जो महिलाएं शरीयत के सिद्धांतों और नियमों को अनदेखा कर हज यात्रा पर जातीं हैं उनका हज स्वीकार नहीं होता।

उन्होंने कहा कि बिना मेहरम की हज यात्रा की अनुमति देना सरासर गलत है। इस्लाम में खून के रिश्ते वालों के साथ ही हज यात्रा पर जाने की अनुमति है।

साभार- ‘अमर उजाला’