राष्ट्रपति का देश के नाम संबोधन में कोरोना महामारी सहित इन मुद्दों का जिक्र

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भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 74वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर देश को संबोधित किया. उन्होंने गलवान घाटी में अपने प्राण न्योछावर करने वाले बहादुर जवानों के बलिदान को नमन किया. राष्ट्रपति ने कहा कि हमें अपने सशस्त्र बलों, पुलिस तथा अर्धसैनिक बलों पर गर्व है जो सीमाओं की रक्षा करते हैं, और हमारी आंतरिक सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं. उनके शौर्य ने यह दिखा दिया है कि यद्यपि हमारी आस्था शांति में है, फिर भी यदि कोई अशांति उत्पन्न करने की कोशिश करेगा तो उसे माकूल जवाब दिया जाएगा.

पड़ोसी देश ने दुस्साहस किया

 

राष्ट्रपति ने कहा कि पूरा देश गलवान घाटी के बलिदानियों को नमन करता है. हर भारतवासी के हृदय में उनके परिवार के सदस्यों के प्रति कृतज्ञता का भाव है. आज जब विश्व समुदाय के समक्ष आई सबसे बड़ी चुनौती से एकजुट होकर संघर्ष करने की आवश्यकता है, तब हमारे पड़ोसी ने अपनी विस्तारवादी गतिविधियों को चालाकी से अंजाम देने का दुस्साहस किया.

 

कोरोना से लड़ने में सरकार ने प्रभावी कदम उठाए

 

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इस वर्ष स्वतंत्रता दिवस के उत्सवों में हमेशा की तरह धूम-धाम नहीं होगी. इसका कारण स्पष्ट है. पूरी दुनिया एक ऐसे घातक वायरस से जूझ रही है जिसने जन-जीवन को भारी क्षति पहुंचाई है और हर प्रकार की गतिविधियों में बाधा उत्पन्न की है. यह बहुत आश्वस्त करने वाली बात है कि इस चुनौती का सामना करने के लिए, केंद्र सरकार ने पूर्वानुमान करते हुए, समय रहते, प्रभावी कदम उठा‍ लिए थे. इन असाधारण प्रयासों के बल पर, घनी आबादी और विविध परिस्थितियों वाले हमारे विशाल देश में, इस चुनौती का सामना किया जा रहा है. राज्य सरकारों ने स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार कार्रवाई की. जनता ने पूरा सहयोग दिया.

 

देश डॉक्टर, नर्स और स्वास्थकर्मियों का ऋणी है

 

राष्ट्रपति ने कहा कि इन प्रयासों से हमने वैश्विक महामारी की विकरालता पर नियंत्रण रखने और बहुत बड़ी संख्‍या में लोगों के जीवन की रक्षा करने में सफलता प्राप्त की है. यह पूरे विश्‍व के सामने एक अनुकरणीय उदाहरण है. राष्ट्र उन सभी डॉक्टरों, नर्सों और अन्य स्वास्थ्य-कर्मियों का ऋणी है जो कोरोना वायरस के खिलाफ इस लड़ाई में अग्रिम पंक्ति के योद्धा रहे हैं.

 

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना’ का किया जिक्र

 

रामनाथ कोविंद ने कहा कि इस महामारी का सबसे कठोर प्रहार, गरीबों और रोजाना आजीविका कमाने वालों पर हुआ है. संकट के इस दौर में, उनको सहारा देने के लिए, वायरस की रोकथाम के प्रयासों के साथ-साथ, अनेक जन-कल्याणकारी कदम उठाए गए हैं. ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना’ की शुरूआत करके सरकार ने करोड़ों लोगों को आजीविका दी है, ताकि महामारी के कारण नौकरी गंवाने, एक जगह से दूसरी जगह जाने तथा जीवन के अस्त-व्यस्त होने के कष्ट को कम किया जा सके. किसी भी परिवार को भूखा न रहना पड़े, इसके लिए जरूरतमन्द लोगों को मुफ्त अनाज दिया जा रहा है. इस अभियान से हर महीने, लगभग 80 करोड़ लोगों को राशन मिलना सुनिश्चित किया गया है.

 

अम्फान चक्रवात में केंद्र-राज्य सरकारों ने किया एकजुट प्रयास

 

अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि इसी दौरान, पश्चिम बंगाल और ओडिशा में आए ‘अम्फान’ चक्रवात ने भारी नुकसान पहुंचाया, जिससे हमारी चुनौतियां और बढ़ गयीं. इस आपदा के दौरान, जान-माल की क्षति को कम करने में आपदा प्रबंधन दलों, केंद्र और राज्यों की एजेंसियों और सजग नागरिकों के एकजुट प्रयासों से काफी मदद मिली.

 

वंदे भारत मिशन और भारतीय रेलवे ने आवागमन को संभव किया

 

राष्ट्रपति ने कहा कि दुनिया में कहीं पर भी मुसीबत में फंसे हमारे लोगों की मदद करने के लिए प्रतिबद्ध, सरकार द्वारा ‘वंदे भारत मिशन’ के तहत, दस लाख से अधिक भारतीयों को स्वदेश वापस लाया गया है. भारतीय रेल द्वारा इस चुनौती-पूर्ण समय में ट्रेन सेवाएं चलाकर, वस्तुओं तथा लोगों के आवागमन को संभव किया गया है.

 

आत्मनिर्भर का मतलब- स्वयं सक्षम होना है, दुनिया से दूरी बनाना नहीं

 

रामनाथ कोविंद ने कहा कि भारत की आत्मनिर्भरता का अर्थ स्वयं सक्षम होना है, दुनिया से अलगाव या दूरी बनाना नहीं. इसका अर्थ यह भी है कि भारत वैश्विक बाज़ार व्यवस्था में शामिल भी रहेगा और अपनी विशेष पहचान भी कायम रखेगा. भारत की आत्मनिर्भरता का अर्थ स्वयं सक्षम होना है, दुनिया से अलगाव या दूरी बनाना नहीं. इसका अर्थ यह भी है कि भारत वैश्विक बाज़ार व्यवस्था में शामिल भी रहेगा और अपनी विशेष पहचान भी कायम रखेगा.

 

स्वाधीनता सेनानियों के बलिदान के दम पर हम आजाद देश के निवासी

 

स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि इस अवसर पर, हम अपने स्वाधीनता सेनानियों के बलिदान को कृतज्ञता के साथ याद करते हैं. उनके बलिदान के बल पर ही, हम सब, आज एक स्वाधीन देश के निवासी हैं. हम सौभाग्यशाली हैं कि महात्मा गांधी हमारे स्वाधीनता आंदोलन के मार्गदर्शक रहे. उनके व्यक्तित्व में एक संत और राजनेता का जो समन्वय दिखाई देता है, वह भारत की मिट्टी में ही संभव था.

 

राम मंदिर निर्माण के शूरू होने से देशवासियों को गौरव की अनुभूति

 

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपने संबोधन में राम मंदिर का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि केवल दस दिन पहले अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण का शुभारंभ हुआ है और देशवासियों को गौरव की अनुभूति हुई है.

 

महामारी से लड़ने में देशवासियों ने धैर्य का परिचय दिया

 

अपने संबोधन के अंत में उन्होंने कहा कि आप सभी देशवासी, इस वैश्विक महामारी का सामना करने में, जिस समझदारी और धैर्य का परिचय दे रहे हैं, उसकी सराहना पूरे विश्व में हो रही है. मुझे विश्‍वास है कि आप सब इसी प्रकार, सतर्कता और ज़िम्मेदारी बनाए रखेंगे. आप सबको, 74वें स्वाधीनता दिवस की बधाई देते हुए आप सभी के अच्छे स्वास्थ्य एवं सुन्दर भविष्य की कामना करता हूं. धन्यवाद, जय हिन्द.