शीला दीक्षित को दिल्ली प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष और हारून यूसुफ उपाध्यक्ष बनाया गया

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दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर आज मुहर लग गई है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को दिल्ली की कमान सौंप दी है। शीला दीक्षित ने आज राहुल गांधी से मुलकात की थी जिसके बाद यह फैसला लिया गया। अजय माकन ने उन्हें ट्वीट कर बधाई भी दी है।

अध्यक्ष बनने के बाद शीला दीक्षित ने कहा कि पार्टी ने जिम्मेदारी दी उसके लिए शुक्रिया। मैं सम्मानित महसूस कर रही हूं कि पार्टी ने मुझे यह मौका दिया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पीसी चाको ने बताया कि शीला दीक्षित को दिल्ली कांग्रेस का अध्यक्ष बनाने के साथ-साथ देवेंद्र यादव, राजेश लिलोथिया और हारून यूसुफ को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है।

वहीं माकन ने बधाई देते हुए कहा कि शीला दीक्षित जी को पुन: प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनने पर शुभकामनाएं! उनके आधीन, मुझे संसदीय सचिव एवं कैबिनेट मंत्री के रूप में काम करके सीखने का सुअवसर मिला! मुझे विश्वास है कि शीला जी की अगुआई में हम, मोदी+केजरीवाल सरकारों के विरोध में एक सशक्त विपक्ष की भूमिका निभाएंगे!

अध्यक्ष बनने के बाद शीला दीक्षित ने कहा कि पार्टी ने जिम्मेदारी दी उसके लिए शुक्रिया। मैं सम्मानित महसूस कर रही हूं कि पार्टी ने मुझे यह मौका दिया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पीसी चाको ने बताया कि शीला दीक्षित को दिल्ली कांग्रेस का अध्यक्ष बनाने के साथ-साथ देवेंद्र यादव, राजेश लिलोथिया और हारून यूसुफ को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है।

वहीं माकन ने बधाई देते हुए कहा कि शीला दीक्षित जी को पुन: प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनने पर शुभकामनाएं! उनके आधीन, मुझे संसदीय सचिव एवं कैबिनेट मंत्री के रूप में काम करके सीखने का सुअवसर मिला! मुझे विश्वास है कि शीला जी की अगुआई में हम, मोदी और केजरीवाल सरकारों के विरोध में एक सशक्त विपक्ष की भूमिका निभाएंगे!

दरअसल दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद कांग्रेस के नए अध्यक्ष की तलाश शुरू हो गई थी। माना जा रहा है कि राजस्थान और मध्य प्रदेश की की तर्ज पर ही कांग्रेस अध्यक्ष ने अनुभवी नेताओं को तरजीह दी।

दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष पद की रेस में शीला दीक्षित के अलावा, राजेश लिलोठिया, प्रह्लाद सिंह साहनी, अरविंदर सिंह लवली और योगानंद शास्त्री के अलावा महाबल मिश्रा का नाम भी शामिल था। दरअसल शीला दीक्षित एक जाना-माना चेहरा है।

ऐसे में उनके नाम पर पार्टी के अंदर विरोध भी सामने नहीं आया है। बता दें कि शीला दीक्षित 1998 से 2013 तक लगातार 15 साल दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं। वह 2014 में केरल की राज्यपाल भी रहीं।

साभार- ‘पंजाब केसरी’