साउथ कोरियाई अदालत ने श्रम पीड़ितों द्वारा दायर मुकदमा खारिज किया

   

सेयोल, 7 जून । सियोल की एक अदालत ने सोमवार को 16 जापानी फर्मों के खिलाफ क्षतिपूर्ति के मुकदमे को खारिज कर दिया, जो 2015 में कुल 84 दक्षिण कोरियाई पीड़ितों द्वारा दायर किया गया था। इन दक्षिण कोरियाई पीड़ितों को द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान बिना वेतन के भारी श्रम के लिए मजबूर किया गया था।

समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, सियोल सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने निप्पॉन स्टील, निसान केमिकल और मित्सुबिशी हेवी इंडस्ट्रीज सहित जापानी कंपनियों के खिलाफ मुकदमा खारिज कर दिया है।

दक्षिण कोरिया के बंधुआ मजदूर पीड़ितों द्वारा दर्ज किए गए इसी तरह के अन्य क्षतिपूर्ति मुकदमों में यह सबसे बड़ा मामला था।

अदालत ने फैसला सुनाया कि नुकसान के व्यक्तिगत अधिकार को समाप्त या माफ किए जाने के रूप में नहीं देखा जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि 1965 दक्षिण कोरिया और जापान संधि के कारण मुकदमों के माध्यम से व्यक्तिगत अधिकार का प्रयोग नहीं किया जा सकता है।

यह फैसला अक्टूबर 2018 में देश की शीर्ष अदालत के फैसले के विपरीत था, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने निप्पॉन स्टील को चार दक्षिण कोरियाई पीड़ितों में से प्रत्येक को 100 मिलियन वोन (89,900 डॉलर) का भुगतान करने का आदेश दिया था।

जापान ने दावा किया कि सभी औपनिवेशिक युग के मुद्दों को 1965 की संधि के माध्यम से सुलझाया गया था, जिसने 1910 से 1945 तक कोरियाई प्रायद्वीप के शाही जापान के उपनिवेशीकरण के बाद दक्षिण कोरिया और जापान के बीच राजनयिक संबंधों को सामान्य किया।

हालांकि, दक्षिण कोरियाई शीर्ष अदालत ने कहा कि राज्य दर राज्य सौदे में व्यक्तिगत अधिकार को शामिल नहीं किया गया था।

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