हैदराबाद एनकाउंटर को लेकर पूर्व सीजेआई आरएम लोढ़ा ने एनकाउंटर पर सवाल उठाये

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हैदराबाद एनकाउंटर मामले में सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को सुनवाई होगी। महिला डॉक्टर दिशा के साथ हुए सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले में चारों अभियुक्तों का पुलिस ने एनकाउंटर कर दिया था। वकील जीएस मणि और प्रदीप कुमार यादव ने एनकाउंटर के ख़िलाफ़ अदालत का दरवाजा खटखटाया है। याचिका में कहा गया है कि एनकाउंटर करने वाले पुलिसकर्मियों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज हो और मामले की जाँच की जाए। साथ ही इन पुलिसकर्मियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने की बात भी याचिका में कही गई है। एनकाउंटर के बाद पुलिस की कार्यप्रणाली को लेकर सवाल खड़े हुए थे। इस मामले की सोशल मीडिया से लेकर आम लोगों के बीच काफ़ी चर्चा हुई थी।
अभियुक्तों के एनकाउंटर को लेकर चीफ़ जस्टिस ऑफ़ इंडिया (सीजेआई) शरद अरविंद बोबडे के बयान की ख़ासी चर्चा हुई थी। सीजेआई ने कहा था कि न्याय कभी भी बदले की भावना से नहीं किया जाना चाहिए। साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि अगर न्याय बदले की भावना से किया जाए तो यह अपना मूल चरित्र खो देता है। इसके अलावा देश के पूर्व सीजेआई आरएम लोढ़ा ने भी हैदराबाद एनकाउंटर पर सवाल उठाते हुए पूछा है कि क्या हम अराजकता वाले समाज की ओर बढ़ रहे हैं।
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पिछले शुक्रवार को तड़के साइबराबाद पुलिस ने एनकाउंटर में दुष्कर्म के चारों अभियुक्तों को ढेर कर दिया था। पुलिस के मुताबिक़, वह अभियुक्तों को घटनास्थल पर क्राइम सीन रिक्रिएशन के लिए ले गई थी। एनकाउंटर के बाद साइबराबाद पुलिस के कमिश्नर वी.सी. सज्जनार ने कहा था कि अभियुक्तों को घटनास्थल पर इसलिए लाया गया था कि वहाँ से महिला डॉक्टर के सामान को बरामद किया जा सके। उन्होंने कहा था कि पुलिस ने पावर बैंक, घड़ी और सेलफ़ोन बरामद किया। सज्जनार ने दावा किया था कि इसी दौरान अभियुक्तों ने पत्थर और छड़ियों से पुलिस कर्मियों पर हमला कर दिया था।

सज्जनार के मुताबिक़, ‘अभियुक्तों ने पुलिस की गन छीन ली थी और पुलिस पर फ़ायरिंग कर दी थी। पुलिस अफ़सरों ने उन्हें चेतावनी दी और समर्पण करने के लिए कहा, लेकिन उन्होंने फ़ायरिंग जारी रखी। इसके बाद हमने भी फ़ायरिंग शुरू कर दी और मुठभेड़ में वे मारे गए।’