नई दिल्ली, 2 फरवरी । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के आह्वान को व्यापक स्तर पर समर्थन मिल रहा है और उनके इस प्रयास को उस समय और भी बल मिला है, जब मंगलवार को ऑक्सफोर्ड लैंग्वेजेज ने आत्मनिर्भारत को वर्ष 2020 का वर्ड ऑफ दि ईयर घाषित कर दिया।
आत्मनिर्भारत – यह शब्द आत्मनिर्भरता का द्योतक है, एक अभिव्यक्ति या एक विचार है जो विगत एक वर्ष में अधिकांश भारतीयों के लिए बहुत प्रेरक रहा है।
ऑक्सफोर्ड हिंदी वर्ड ऑफ द ईयर एक ऐसा शब्द या अभिव्यक्ति है, जिसका चयन गुजरते वर्ष के लोकाचार, मनोदशा या पूर्वाग्रहों को प्रतिबिंबित करने के लिए चुना जाता है। इस विशिष्ट शब्द में सांस्कृतिक महत्ता की दृष्टि से व्यापक संभावना अंतर्निहित होती है।
वर्ष 2020, भारत के लिए एक अभूतपूर्व वर्ष था, क्योंकि इसमें कोरोना काल के कारण लोगों को लंबे लॉकडाउन का सामना करना पड़ा था। लोगों की आवाजाही पर बंदिश और दैनिक कार्यकलाप पर असर पड़ने के कारण आर्थिक गतिविधियों की रफ्तार धीमी हो गई। इसके परिणास्वरूप देश के लाखों नागरिकों पर इसका प्रभाव पड़ा। इस कठिन दौर से बाहर निकलने के लिए हर क्षेत्र के लोगों ने अदम्य साहस, मानवीय भावना, धर्य व आत्मनिर्भरता का परिचय दिया।
महामारी के शुरुआती महीनों में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोविड राहत पैकेज का ऐलान किया था तो महामारी के इस संकट से उबरने के लिए उन्होंने एक राष्ट्र, एक अर्थव्यवस्था, एक समाज और एक व्यक्ति के रूप में आत्मनिर्भर बनने की आवश्यकता पर जोर दिया था। उन्होंने इसे स्पष्ट करते हुए कहा था कि आत्मनिर्भर भारत का तात्पर्य स्व-केंद्रित होने अथवा दुनिया से तटस्थ रहने का नहीं, बल्कि यह स्वयं को दक्ष बनाने के बारे में है।
उन्होंने कहा था कि हम ऐसी नीतियां बनाएंगे जो दक्षता, परस्पर सहयोग और लचीलेपन को प्रोत्साहित करती हों। प्रधानमंत्री के संबोधन के बाद से ही आत्मनिर्भारत शब्द का इस्तेमाल तेजी से बढ़ने लगा। उन्होंने अपने संबोधन में एक वाक्यांश और अवधारणा के रूप में इसकी प्रमुखता को उजागर किया था।
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