कोरोना वायरस का प्रकोप दुनियाभर में फैलता जा रहा है। रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत में कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या बढ़कर 9211 हो गई है, जिनमें से 331 लोगों की मौत हो चुकीहै। देशभर की बात करें तो लगभग 19 लाख लोग अब तक कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं और करीबन एक लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। ऐसे में लोग इस वायरस से बचने के लिए कई तरह के प्रयास कर रहे हैं। डॉक्टर और विशेषज्ञ भी बचाव के अलग-अलग उपाय बता रहे हैं।
इस वायरस से संक्रमित होने का अधिक खतरा डायबिटीज और अस्थमा के मरीजों को है, साथ ही बुजुर्गों को भी है। हाल में मेडिकल विशेषज्ञों और डॉक्टरों ने यह आशंका जताई है कि कोरोना वायरस से ग्रस्त मरीजों में सूंघने की क्षमता कम हो रही है। इसी बीच कुछ नए रिपोर्ट में यह भी बताया जा रहा है कि सार्स-सीओवी-2 का संक्रमण लोगों को शारीरिक रूप से ही नहीं, बल्कि मानसिक रूप से भी क्षति पहुंचा रहा है।
अमेरिका के न्यूजपेपर ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ के मुताबिक, इस बात की पुष्टि कई न्यूरोलॉजिस्ट ने की है। उनका कहना है कि कोरोना वायरस से पीड़ित मरीजों से जुड़े कुछ मामले ऐसे भी सामने आए हैं, जिनमें कोरोना वायरस का प्रभाव मरीज के दिमाग पर भी पड़ा है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो कुछ मरीजों में इसे एन्सेफैलोपैथी, मस्तिष्क रोग या ब्रेन डिसफंक्शन भी कहा जा सकता है। इसके अलावा दिमाग में सूजन के कारण सिरदर्द बढ़ सकता है। हालांकि आपको बता दें कि ऐसे लक्षण कुछ मरीजों में ही देखने को मिले हैं यानी इन्हें दुर्लभ मामलों में गिना जा सकता है।
द न्यूयॉर्क टाइम्स के एक लेख में कहा गया है कि विशेषज्ञों ने जर्मनी, फ्रांस, ऑस्ट्रिया, इटली और हॉलैंड में COVID-19 रोगियों में न्यूरोलॉजिकल लक्षण देखे हैं। रिपोर्ट में कहा गया है, “कुछ डॉक्टरों ने उन रोगियों के मामलों की रिपोर्ट की है जिन्हें उनके बदले हुए मानसिक स्थिति के कारण इलाज के लिए लाया गया था और बाद में टेस्ट होने पर वह कोरोना वायरस से संक्रमित निकलें। हालांकि उनमें बुखार या खांसी जैसे लक्षण नहीं थे।