रहीम अनवर सदर अंजुमन तरक़्क़ी उर्दू ने अपने एक सहाफ़ती(साफ)) ब्यान दिया है कि कहा के गुस्ताखाना फ़िल्म इज़हार आज़ादी की खुली ख़िलाफ़वरज़ी है। इस अफ़सोसनाक इक़दाम(कदम) से आलम इस्लाम के जज़बात(ईच्छा) मजरूह(disturb) हुए हैं।
मग़रिबी ताक़तें , इस्लाम और मुस्लमानों के ख़िलाफ़ इस तरह की अहानत(विचारो के) मिलने वाले रवैय्ये के ज़रीया वक़फ़ा वक़फ़ा से दिल आज़ारी(खराबी) कर रही हैं जो काबिल मुज़म्मत(विरोध) है।
उन्हों ने परज़ोर (सखती) मुतालिबा किया कि इस अहानत(विचारो) आमेज़ फ़िल्म पर फ़ौरी पाबंदी आइद की जाय ताकि मुस्लमानों में फैली बेचैनी दूर हो सके।