जम्मू-कश्मीर : सुप्रीम कोर्ट ने कहा, भविष्य की ओर देखने का समय, अतीत में जीने का नहीं

   

नई दिल्ली, 29 जुलाई । सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष मियां अब्दुल कयूम की नजरबंदी के मामले की सुनवाई के दौरान बुधवार को कहा कि यह भविष्य की ओर देखने का समय है।

न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की खंडपीठ ने कहा कि सरकार को जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश में पूरी तरह से सामान्य स्थिति लाने के लिए सभी प्रयास करने चाहिए।

अपने आदेश में पीठ ने कहा, यह भविष्य के लिए रास्ता बनाने का समय है। अतीत में न रहें, आगे देखें।

केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शीर्ष अदालत को सूचित किया कि वह कयूम की नजरबंदी को आगे नहीं बढ़ाने के लिए सहमत हैं।

मेहता ने पीठ के समक्ष कहा कि उन्हें तुरंत रिहा कर दिया जाएगा। अगस्त 2019 में कयूम को सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम के तहत हिरासत में लिया गया था। हाईकोर्ट ने उनकी नजरबंदी को उनकी कथित अलगाववादी विचारधारा का हवाला देते हुए बरकरार रखा था।

न्यायमूर्ति कौल ने कहा कि इस क्षेत्र में पर्यटन की बहुत बड़ी संभावना है, जो अप्रयुक्त है। कयूम का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने गुरुवार को उनकी रिहाई के लिए शीर्ष अदालत से आग्रह किया था, ताकि वह अपने परिवार के पास जा सकें। मेहता ने शीर्ष अदालत के सुझावों को भी स्वीकार किया कि कयूम दिल्ली में ही रहेंगे और सात अगस्त तक कश्मीर नहीं जाएंगे।

पिछले साल पांच अगस्त को धारा 370 को निरस्त कर दिया गया था। दवे ने इस शर्त को स्वीकार कर लिया कि उनके मुवक्किल धारा 370 पर कोई विवादास्पद बयान नहीं देंगे।

पीठ ने इसके बाद मेहता और दवे दोनों के प्रयासों की सराहना की, जो बिना किसी प्रतिकूल स्थिति के इस मामले को हल करने में सक्षम हैं।

कयूम ने दलील दी कि वह 70 वर्ष से अधिक उम्र के हैं और हृदय की बीमारियों से पीड़ित हैं।

Source: IANS

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