जामिया मिलिया इस्लामिया (Jamia Millia Islamia) में एक स्मार्टफोन-सक्षम POC प्रोटोटाइप तैयार किया गया है. इससे टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट्स की सहायता के बिना ही, एक घंटे के अंदर कोरोना (Coronavirus) होने या ना होने का पता लगाया जा सकता है. जामिया के मल्टीडिसीप्लिनरी सेंटर फॉर एडवांस्ड रिसर्च एंड स्टडीज (MCRAS) ने अन्य वैज्ञानिकों के साथ मिल कर कोविड-19 संक्रमण का पता लगाने के लिए यह RNA इक्स्ट्रैक्शन फ्री सलाइवा आधारित किट की खोज की है.
इस टेक्नोलॉजी का नाम MI-SEHAT (मोबाइल इंटीग्रेटेड सेंसिटिव एस्टीमेशन एंड हाई स्पसेफिसिटी एप्लिकेशन टेस्टिंग) है. इसका इस्तेमाल कोरोना संक्रमण का पता लगाने में प्वाइंट ऑफ केयर (POC) डिवाइस के रूप में घर-घर टेस्टिंग के लिए किया जा सकता है.
इन डॉक्टर्स की टीम ने की यह खोज
सहायक प्रोफेसर डॉ. मोहन सी जोशी (UGC-FRP और DBA, वेलकम ट्रस्ट इंडिया अलायंस फेलो), असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. तनवीर अहमद (UGC-FRP) और रामालिंगस्वामी फेलो डॉ. जावेद इकबाल (DBT) ने VMMC (सफदरजंग अस्पताल) के डॉ. रोहित कुमार और वेलेरियन केम लिमिटेड के CEO डॉ. गगन दीप झिंगन के साथ मिलकर यह बड़ी खोज की है.
संक्रमण का जल्द पता लगाने में होगी कारगर
इस टीम के डॉ. मोहन सी जोशी (Mohan C Joshi) ने नई टेक्नोलॉजी के बारे में बताते हुए कहा, “एक स्मार्टफोन-सक्षम POC प्रोटोटाइप तैयार किया गया है. इससे तकनीकी विशेषज्ञों की सहायता के बिना ही, एक घंटे के भीतर कोरोना होने या ना होने का पता लगाया जा सकता है. ऐसे कठिन समय में जब कोरोनावायरस संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए, कम कीमत में संक्रमण के लक्षण को जल्द से जल्द पता लगाना जरूरी हो गया है, उसके लिए यह सलाइवा आधारित किट बहुत कारगर साबित होगी.”
पूरी टीम ने इस खोज में दिया अहम योगदान
जामिया MCRC में पीएचडी के छात्र मुहम्मद इकबाल आजमी और इमाम फैजान, ने लैब्स में सभी प्रयोगों के आधारों को नोट किया, जिससे टीम को प्रोटोटाइप तैयार करने में मदद मिली.
नेचुरल साइंसेज फैकल्टी की डीन प्रोफेसर सीमी फरहत बसीर, MCARS के डायरेक्टर प्रो. एम जुल्फिकार, डिप्टी डायरेक्टर, डॉ. एस.एन. काजिम और फैकल्टी के अन्य सदस्यों ने भी इस खोज में महत्वपूर्ण मदद की. टीम ने भारत सरकार के बौद्धिक संपदा (Intellectual Property) भारत कार्यालय में अपनी इस नई टेक्नोलॉजी के पेटेंट कराने के लिए आवेदन किया है.
जामिया की कुलपति प्रो नजमा अख्तर (Najma Akhtar) ने कहा, “यह टेक्नोलॉजी ग्लोबल महामारी के खिलाफ लड़ाई में एक गेम-चेंजर हो सकती है. MI-SEHAT सही मायनों में स्मार्ट इनोवेशन का एक बेहतरीन उदाहरण है और आत्मनिर्भर भारत की सच्ची भावना का प्रतीक है. एक अनुकूल तकनीक होने के नाते, MI-CHAT होम टेस्टिंग (घर में टेस्ट) को प्रोत्साहित करेगा. कोरोना मरीजों की पहचान कर, इस संक्रमण को फैलने से रोकने में अहम भूमिका निभाएगा.”
महामारी से लड़ने में निभाएगा अहम भूमिका
प्रो. अख्तर ने पूरी टीम को बधाई देते हुए विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के प्रयासों की सराहना की, जो इस जानलेवा वैश्विक महामारी से लड़ने में अपनी भूमिका अच्छे से निभा रहे हैं. MCARS के डायरेक्टर प्रो. एम जुल्फिकार ने कहा, “MI-CHAT से भारत के ग्रामीण इलाकों में तेजी से स्क्रीनिंग और स्वास्थ्य-विशेषज्ञों की सेवाओं का विस्तार होगा. यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि अधिकतर गांवों में अभी भी गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं काफी कमी है.”