तो इजरायल सिर्फ़ मुसलमानों को नहीं बल्कि ईसाईयों को अपना दुश्मन मानते हैं?

   

अवैध अधिकृत फ़िलिस्तीन के इलाक़े तबरिया में एक प्राचीन मस्जिद को ज़ायोनी शासन संग्रहालय या यहूदी उपासना स्थल में बदलने की योजना बना रहा है।

मस्जिद का दौरा करने वाली एक फ़िलिस्तीनी कमेटी ने बताया है कि तबरिया की नगरपालिका ने कहा है कि वह मस्जिद को यहूदी उपासना स्थल में बदलने का इरादा रखती है मगर बाद में आपत्ति होने पर नगरपालिका ने कहा कि वह मस्जिद को संग्रहालय में बदल देगी।

इस्राईल के क़ब्ज़े में रहने वाले फ़िलिस्तीनियों की कमेटी के प्रमुख मुहम्मद बरकह का कहना है कि वह मस्जिद की रक्षा के लिए बड़े पैमाने पर आंदोलन छेड़ने जा रहे हैं।

कमेटी के प्रतिनिधियों ने मंगलवार की शाम मस्जिद का दौरा किया। मुहम्मद बरकह का कहना है कि आगामी रविवार को नगरपालिका के अधिकारियों से उनकी मुलाक़ात होगी जिसमें इस बारे में बात होगी।

नगरपालिका ने बड़ी चालाकी दिखाते हुए मस्जिद की सफ़ाई के नाम से कुछ गतिविधियां शुरू कीं मगर स्थानीय मुसलमानों को इसकी भनक लग गई और उन्होंने नगरपालिका के अधिकारियों के इरादे भी भांप लिए कि वह सफ़ाई के बहाने मस्जिद को हड़पने का इरादा रखते हैं।

स्थानीय मुसलमानों की कमेटी के प्रतिनिध माज़िन अदवी ने नगरपालिका प्रमुख से बात की तो उन्हें भी अंदाज़ा हो गया कि ज़ायोनियों की नीयत इस मस्जिद के बारे में ख़राब है।

इसके बाद फ़िलिस्तीनियों के प्रतिनिधिमंडल ने मस्जिद का दौरा किया जिसके दौरान नगरपालिक प्रमुख रोन कोबी वहां पहुंच गए और पुलिस तैनात कर दी गई।

फ़िलिस्तीनियों की कमेटी के प्रमुख मुहम्मद बरकह ने कहा कि हमने मस्जिद का दौरा किया तो यह हक़ीक़त साफ़ हो गई कि मस्जिद की सफ़ाई नहीं हो रही है बल्कि कुछ और ही योजना बनाई गई है। उन्होंने बताया कि तबरिया तथा अन्य शहरों में इसी तरह ज़ायोनी शासन इस्लामी और ईसाई धार्मिक स्थलों को मिटा रहा है।

parstoday.com के अनुसार, बरकह ने कहा कि यदि मस्जिद के संबंध में ज़ायोनियों की साज़िश जारी रहती है तो बड़े पैमाने पर आंदोलन छेड़ दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि नगरपालिका ने मुसलमानों के लिए इस मस्जिद के दरवाज़े बंद कर रखे हैं और हम आंदोलन छेड़ेंगे कि यह मस्जिद मुसलमान नमाज़ियों को मिल जाए। जिस समय दूसरा इंतेफ़ाज़ा आंदोलन चल रहा था इस मस्जिद पर यहूदी युवाओं ने हमला किया था जिससे मस्जिद को नुक़सान पहुंचा था।

फ़िलिस्तीनियों की कमेटी के अधिकारी कमाल ख़तीब ने बताया कि इस मस्जिद पर भी और दूसरे धार्मिक स्थलों पर भी कई बार हमले हुए हैं। उन्होंने बताया कि एक एतिहासिक स्थान है जिसे हज़रत सकीना स्थल कहा जाता था मगर ज़ायोनियों ने अब वहां बदलाव करके इसका नाम राहील का मक़बरा रख दिया है।

फ़िलिस्तीनी सांसद युसुफ़ जब्बारीन ने बताया कि इस्राईल ने अधिकतर इस्लामी और ईसाई धार्मिक स्थलों को नुक़सान पहुंचाया है और मौक़े की तलाश में कि इन स्थलों को पूरी तरह मिटा दे। इस समय अलबहर मस्जिद के बारे में जो कुछ हो रहा है वही सब कुछ बेअरुस्सबअ मस्जिद के साथ हुआ जिस पर हमला करके हड़प लिया गया।

फ़िलिस्तीनियों के नेता मंसूर अब्बास का कहना है कि इस्राईल इस्लामी वक्फ़ की जगहों पर क़ब्ज़ा करने की कोशिश में है और मस्जिदों में मुसलमानों के प्रवेश को रोकने के अलग अलग बहाने तलाश करता रहता है। इस्राईल को इस शत्रुतापूर्ण रवैए से रोकना ज़रूरी है।

अलबहर मस्जिद के बारे में ज़ायोनियों की साज़िश का पता चलने के बाद फ़िलिस्तीनियों के प्रतिनिधिमंडल ने जान पर खेलकर इस मस्जिद का दौरा किया और वहां जाकर अज़ान भी दी।