बराक घाटी के असमिया भाषी छात्रों के असम विश्वविद्यालय में दाखिले पर रोक लगाने की भाजपा नेता प्रदीप दत्ता की धमकी के एक दिन बाद संस्थान के अधिकारियों ने शनिवार को कैम्पस के अंदर बगैर इजाजत के होने वाले प्रदर्शनों पर पाबंदी लगा दी. हालांकि, नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ प्रदर्शन समूचे असम में जारी है. यह प्रदर्शन मुख्य रूप से छात्रों द्वारा किया जा रहा है. असम विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ संजीव भट्टाचार्य ने एक आदेश में यह कहा है कि अधिकारियों की पूर्व इजाजत के बगैर कैम्पस में कोई जुलूस/धरना या किसी तरह का जमावड़ा नहीं होगा. अगले आदेश तक इन गतिविधियों पर सख्त पाबंदी है. यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है. इसे कुलपति की मंजूरी के साथ जारी किया गया है. दत्ता को शुक्रवार को स्थानीय समाचार चैनलों पर यह कहते सुना गया, ‘‘मैं विश्वविद्यालय के असमिया भाषी छात्रों को चेतावनी देता हूं कि वे राजनीति में शामिल नहीं हों”.
गौरतलब है कि बृहस्पतिवार को छात्रों के एक समूह ने विधेयक का समर्थन किया था जबकि दूसरे समूह ने इसका विरोध करते हुए बुधवार को ‘ कैंडल मार्च ‘ निकाला था. दत्ता के बयान की विभिन्न हलकों द्वारा निंदा की गई है. गुवाहाटी की कॉटन यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स यूनियन ने साम्प्रदायिक रूप से उकसाने वाला बयान देने को लेकर यहां दत्ता के खिलाफ पान बाजार पुलिस थाना में एक शिकायत दर्ज कराई है. इस बीच, गुवाहाटी में विधेयक का विरोध जारी है. नलबारी कॉलेज और नलबारी कामर्स कॉलेज के छात्रों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल का पुतला फूंका. सोनोवाल के निर्वाचन क्षेत्र माजुली स्थित माजुली कॉलेज में छात्रों ने कक्षाओं का बहिष्कार किया. नार्थ ईस्ट स्टूडेंट्स आर्गेनाइजेशन ने शनिवार को राज्य में काला दिवस मनाया. साथ ही, खबरों के मुताबिक आईआईटी बॉम्बे में पढ़ाई कर रहे पूर्वोत्तर के छात्रों ने भी कैम्पस में एक रैली निकाली और विधेयक का विरोध किया. गौरतलब है कि यह विधेयक बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में प्रवेश किए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता प्रदान करता है.