कांग्रेस के कद्दावर नेता और राज्यसभा सांसद अहमद पटेल को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है। अदालत ने उन्हें अदालती कार्यवाही का सामना करने के निर्देश दिये हैं। अहमद पटेल की जीत के खिलाफ उनके प्रतिद्वंदी बलवंत सिंह राजपूत ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। दरअसल बलवंत सिंह राजपूत ने 26 अक्टूबर 2018 को पटेल की जीत के खिलाफ गुजरात हाईकोर्ट में अर्जी दायर की थी। हाईकोर्ट ने कहा था कि इस मामले में फेयर ट्रायल की जरूरत है। लेकिन अदालत के फैसले के खिलाफ पटेल ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर की थी।
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई का अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि ट्रायल हो जाने दे दीजिए। बीजेपी नेता और प्रत्याशी बलवंत सिंह राजपूत ने चुनाव आयोग द्वारा दो बागी विधायकों के वोट को अवैधानिक घोषित किया था। उनका कहना था कि अगर उन दोनों वोटों की गिनती हुई होती तो वो पटेल अपना चुनाव हार जाते। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि वो अगले महीने इस मामले की सुनवाई करेगा। इस मामले में दोनों पक्षों को अतिरिक्त दस्तावेज जमा कराने के निर्देश दिए गए हैं।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि इस मामले में दोनों पार्टियां अदालत के सामने पेश हुई थीं लिहाजा औपचारिक नोटिस जारी करने का मतलब नहीं बनता है। अदालत ने इस मामले पर अंतिम फैसले के लिए फरवरी 2019 के महीने को चूना है। इस बीच गुजरात हाईकोर्ट में चुनावी याचिका पर सुनवाई होती रहेगी।
बता दें कि कांग्रेस के दो बागी विधायकों भोलाभाई गोहिल और राघवजी पटेल के मत को चुनाव आयोग ने अयोग्य ठहराया था। इस वजह से जीत का आंकड़ा 45 से 44 हो गया। हाईकोर्ट के सामने दायर अर्जी में राजपूत ने आरोप लगाया था कि कांग्रेस विधायकों को बंधक बनाकर बेंगलुरु के एक रिसॉर्ट में रखा गया।
अक्टूबर 2018 में दूसरी बार गुजरात हाईकोर्ट ने अहमद पटेल को राहत देने से इंकार कर दिया था। इससे पहले 20 अप्रैल को पटेल की अर्जी खारिज की गई थी। 20 अप्रैल 2018 को पटेल ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई कि चुनाव पैनेल के फैसले को चुनावी याचिका के जरिए चुनौती नहीं दी जा सकती है। इस मामले में कांग्रेस के दिग्गज नेताओं और वकील कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने अहमद पटेल का पक्ष रखा था।