पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के महासचिव एम. मोहम्मद अली जिन्ना ने मीडिया को जारी अपने एक बयान में लोकसभा में पारित नागरिकता (संशोधन) बिल को केंद्र सरकार का एक सांप्रदायिक व पक्षपातपूर्ण क़दम क़रार देते हुए, राज्य सभा के सभी गैर-बीजेपी सदस्यों से इस बिल को कानून बनने से रोकने की अपील की है।
इस बिल में मुसलमानों के साथ खुला भेदभाव बरता गया है और यह सरासर संविधान के खिलाफ है। क्योंकि यह बिल अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों के हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के मानने वालों को भारत में स्थाई नागरिकता हासिल करने की इजाज़त देता है, लेकिन वहीं इन देशों से आने वाले मुसलमानों को जो कि एक बड़े धार्मिक समुदाय का हिस्सा हैं, उन्हें इसकी इजाज़त नहीं देता।
यह बड़ा ही शर्मनाक मामला है कि हमारे देश में नागरिकता हासिल करने के लिए धर्म को एक बड़ा आधार माना गया है, जो कि पूर्ण रूप से अन्याय है। जैसा कि हमने इससे पहले भी यह कहा था कि सरकार को यह स्पष्ट करना होगा कि उपरोक्त देशों से आने वाले विशेष धर्मों के मानने वाले लोगों को ही नागरिकता का हकदार क्यों बनाया जा रहा है, जबकि कई अन्य देशों में दूसरे अल्पसंख्यक समुदायों पर इससे भी ज़्यादा सितम ढाए जा रहे हैं और वहां मानवाधिकार का खुला उल्लंघन किया जा रहा है। इस तरह यह बिल मानवाधिकार के संवैधानिक सिद्धांतों, विशेषकर कानून के समक्ष बराबरी के सिद्धांत के खि़लाफ है।
आगामी लोकसभा चुनावों से पहले यह बीजेपी की एक और सांप्रदायिक व राजनीतिक विभाजनकारी चाल है। मोहम्मद अली जिन्ना ने सभी विपक्षी दलों से आगे बढ़कर इस बिल के पीछे छिपे असल एजेंडे को बेनक़ाब करने और इसे राज्यसभा में नाकाम बनाने की अपील की। साथ ही उन्होंने सभी नागरिकों, बुद्धिजीवियों और सामाजिक संगठनों से भी इस बिल के ख़िलाफ़ अपनी आवाज़ उठाने की अपील की।