अनुच्छेद 370 हटाए जाने पर सुप्रीम कोर्ट पहुंची नेशनल कांफ्रेंस

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नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) ने संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू एवं कश्मीर को मिले विशेष दर्जे को समाप्त करने के केंद्र सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. केंद्र सरकार ने हाल ही में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम-2019 के तहत राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू एवं कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया है. संसद ने छह अगस्त को राष्ट्रपति के आदेश का समर्थन करते हुए अनुच्छेद-370 के प्रावधानों को समाप्त करने का प्रस्ताव पारित किया.

क्षेत्रीय पार्टी नेकां जम्मू-कश्मीर पर केंद्र सरकार द्वारा लिए गए फैसले का विरोध करने वालों में सबसे आगे रही है. पार्टी ने इसे असंवैधानिक बताते हुए इस संबंध में अंतिम समय तक कानूनी लड़ाई लड़ने की बात कही है. नेकां नेता मोहम्मद अकबर लोन और हसनैन महसूद ने पार्टी का प्रतिनिधित्व करते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया. पार्टी के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि राष्ट्रपति के आदेश से खतरनाक परिणाम सामने आएंगे और घाटी में नागरिकों को अशांति का सामना करना पड़ेगा.

याचिका में शीर्ष अदालत से जवाब मांगा गया है कि क्या केंद्र सरकार राष्ट्रपति शासन के दौरान उचित प्रक्रिया और कानून के शासन के प्रमुख तत्वों को ध्वस्त कर इस संघीय योजना को एकतरफा लागू कर सकती है? स्वराज या स्वशासन का जिक्र करते हुए याचिका में कहा गया है कि संघीय ढांचे के अंदर स्वायत्त स्व-शासन का अधिकार एक अनिवार्य मौलिक अधिकार है. याचिका में कहा गया है कि इन मूल्यवान अधिकारों को कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के बिना हटा दिया गया है, जो संवैधानिक नैतिकता के सभी प्रावधानों का उल्लंघन करता है.

याचिकाकर्ताओं ने शीर्ष अदालत से राष्ट्रपति के आदेश को असंवैधानिक और निष्क्रिय घोषित करने की अपील की. अनुच्छेद-370 के तहत, जम्मू एवं कश्मीर राज्य को स्वायत्तता मिली हुई है, और यहां की विधानसभा संचार, रक्षा, वित्त और विदेशी मामलों के क्षेत्रों को छोड़कर अपने स्वयं के कानूनों का मसौदा तैयार करने के लिए स्वतंत्र थी. इसके अलावा राज्य में बाहर के लोग जमीन नहीं खरीद सकते हैं.