अफगानिस्तान की ज़ंग में किसकी कुर्बानी गयी?

   

एक अफ़ग़ान विशेषज्ञ ने कहा है कि आतंकवाद से मुकाबले के बहाने अमेरिकी युद्ध की मुख्य भेंट अफ़ग़ान जनता चढ़ी है। मोहम्मद यूसुफ़ अमीन ज़ाज़ी ने रेडियो तेहरान की दरी सेवा के साथ टेलीफोनी वार्ता में बताया है कि मौजूद आंकड़ों के अनुसार अफगानिस्तान में आतंकवाद से मुकाबले की लड़ाई में बहुत कम विदेशी सैनिक मारे गये हैं।

साथ ही उन्होंने अफ़ग़ानिस्तान की राष्ट्रीय एकता सरकार का कार्यकाल आरंभ होने के समय से लेकर अब तक आतंकवाद से मुकाबले में 45 हज़ार अफ़गान सुरक्षा बलों के मारे जाने पर आधारित राष्ट्रपति मोहम्मद अशरफ़ ग़नी के वक्तव्यों की ओर संकेत किया और कहा कि आतंकवाद से मुकाबले के बहाने अमेरिका ने अफ़ग़ानिस्तान में जो युद्ध आरंभ किया है उससे न केवल आतंकवादी समाप्त नहीं हुए हैं बल्कि दिन- प्रतिदिन वे मज़बूत हुए हैं यहां तक कि दाइश जैसे दूसरे आतंकवादी गुट भी अफ़ग़ानिस्तान आ गये हैं।

उन्होंने कहा कि रणक्षेत्र में अफगान सुरक्षा बलों का हथियारों से अच्छा समर्थन नहीं किया जा रहा है और स्थानीय पुलिस के पास जो संभावनाएं हैं वे दुश्मन सेना की संभावनाओं से कम हैं।

इसी प्रकार अफ़ग़ान विशेषज्ञ ने कहा है कि युद्ध का सही तरह से प्रबंधन नहीं किया जा रहा है और जब दुश्मन के सैनिक अफ़गानिस्तान में दाखिल होते हैं तो उनका पता लगाने और उनका पीछा करने के लिए अफ़गान सुरक्षा बलों के पास आवश्यक संभावनाएं नहीं होती हैं।

साभार- ‘parstoday.com’