अफगानिस्तान से फौजों को निकालने का अमेरिकी सीनेट ने किया विरोध!

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अमरीकी सेनेट ने सीरिया और अफ़ग़ानिस्तान से सेना वापस बुलाने के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प के फ़ैसले के विरोध में प्रस्ताव पारित कर दिया है जिसे ट्रम्प के लिए एक और बड़ा झटका माना जा रहा है। गुरुवार की रात सेनेट में इस प्रस्ताव के पक्ष में वोट पड़े जिसमें सेना को वापस बुलाने के फ़ैसले का कड़ाई से विरोध किया गया है।

यह प्रस्ताव ग़ैर बाध्यकारी है लेकिन इससे यह पता चलता है कि रिपब्लिकन सेनेटर भी अमरीकी राष्ट्रपति के फ़ैसले के साथ नहीं हैं। आने वाले दिनों में मध्यपूर्व में अमरीका की रणनीति के बारे में भी एक प्रस्ताव पर सेनेट में बहस होने वाली है।

parstoday.com के मुताबिक, जार्डन सीमा के निकट सीरिया के मरुस्थलीय इलाक़े तनफ़ में अर्रुकबान नामक क्षेत्र में अमरीकी सैनिक छावनी है जहां 2200 से अमरीकी सैनिक पूर्व राष्ट्रपति ओबामा के काल से तैनात हैं। यह सैनिक सीरिया की सरकार की अनुमति के बग़ैर इस क्षेत्र में घुस गए थे और अब तक वहां मौजूद हैं।

अमरीका इन सैनिकों की मदद से उन चरमपंथी संगठनों की सहायता कर रहा है जो सीरियाई सरकार के विरुद्ध लड़ रहे थे। अमरीका ने कुर्द बाहुल्य फ़ोर्स सीरियन डेमोक्रेटिक फ़ोर्स की भी सहायता की और उसे सीरिया के विभाजन की अपनी योजना में प्रयोग करने की कोशिश की।

सीरिया में अमरीकी एजेंडा पूरी तरह नाकाम हो चुका है अतः अब डोनल्ड ट्रम्प वहां से अपनी सेना वापस बुलाना चाहते हैं। डोनल्ड ट्रम्प का तर्क है कि सीरिया संकट के मामले में अमरीका ने 70 अरब डालर की रक़म अब तक ख़र्च कर दी लेकिन उसके हाथ कुछ भी नहीं लगा है।

डोनल्ड ट्रम्प ने कहा कि हम दाइश से लड़ने के लिए सीरिया में गए थे और अब दाइश को पराजित किया जा चुका है तो अब अमरीकी सैनिकों के वहा रुके रहने की कोई वजह नहीं है।

अमरीका में डोनल्ड ट्रम्प के इस फ़ैसले के बाद यह चिंता उत्पन्न हो गई कि सीरिया से अमरीकी सैनिकों को वापस बुला लेने का मतलब यह है कि अमरीका अपनी हार स्वीकार कर रहा है। इसी मुद्दो लेकर अमरीकी संस्थाओं में आपसी मतभेद बढ़ रहा है।