अब बम से भी नहीं नुकसान पहुंचाया जा सकेगा इमाम हुसैन के रौज़े को!

   

पैग़म्बरे इस्लाम के नवासे, कर्बला के शहीदों के सरदार, मानव इतिहास में ज़ुल्म के ख़िलाफ़ प्रतिरोध के प्रतीक और शिया मुसलमानों के तीसरे इमाम, इमाम हुसैन (अ) के रौज़े के गुंबद का निर्माण मार्च में पूरा हो जाएगा।

पार्स टुडे डॉट कॉम के मुताबिक, ईरान के किरमान प्रांत में पवित्र स्थलों के पुनर्निर्माण समिति के प्रमुख अली मुहाजेरी ने सूचना दी है कि रौजे के पुनर्निमाण और कर्बला के शहीदों के सरदारश्वासन, अमयोंकि इस तरह से सैन्य टकराव की स्थिइमाम हुसैन (अ) की पवित्र ज़रीह के ऊपर इस साल नौरोज़ या मार्च के आख़िर में नए गुंबद का निर्माण कर दिया जाएगा।

मुहाजेरी ने आगे कहा, इमाम हुसैन के रौज़े के नए गुंबद के ऊपर लगने वाला धातु का ख़ोल किरमान में तैयार किया जा रहा है। किरमान के पवित्र स्थलों की समिति के प्रमुख का कहना था कि, इमामे हुसैन के रौज़े का नया गुंबद बम प्रूफ़ होगा, जिसका निर्माण मार्च 2019 में पूरा हो जाएगा।

मुहाजेरी का कहना था, हमारा यह दृढ़ विश्वास है कि हज़रत सैय्यदुश्शोहदा के मार्गदर्शन और कृपा के कारण ही इस सेवा का उन्हें और उनके साथियों को यह अवसर हासिल हुआ है, क्योंकि अगर उनकी कृपा नहीं होती तो वे एक कील भी इधर से उधर नहीं कर सकते थे।

उन्होंने कहा, हमारी कोशिश है कि हम हज़रत इमाम हुसैन (अ) की सेवा में वैज्ञानिक, तार्किक और इस्लामी काम पेश कर सकें। मुहाजेरी का कहना था कि इराक़ के पवित्र नगर कर्बला में हमेशा लाखों लोग ज़ियारत के लिए जाते रहते हैं, विशेषकर आशूर और अरबईन में करोड़ों लोग वहां पहुंचते हैं, ज़रीहे मुबारक पर जिस गुबंद का निर्माण किया जा रहा है उसमें इस बात का पूरा ख़याल रखा जा रहा है।

उन्होंने बताया कि इमाम हुसैन के रौज़े में पुराने गुंबद का वज़न 1200 टन था, जो ईंटों से बने स्तंभों पर टिका हुआ था और यह किसी चमत्कार से कम नहीं था, लेकिन हमने नए गुंबद के निर्माण के लिए स्तंभों और ज़रीह चारो ओर की दीवारों का भी पुनर्निर्माण किया है।

इमाम हुसैन के गुंबद के निर्माण के लिए अब तक 2000 स्वयं सेवी अपनी सेवाएं दे चुके हैं और गुंबद के पुनर्निर्माण में हर चीज़ का बहुत ही सटीक हिसाब किताब रखा गया है।