उर्मिला ने अपने पत्र में यह भी बताया कि उन्होंने पहली बार तब इस्तीफे के बारे में सोचा था जब मैंने 16 मई को तत्कालीन मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष मिलिंद देवड़ा को मैंने पत्र लिखा था और उन्होंने इसका कोई जवाब नहीं दिया. उन्होंने कहा कि बाद में मेरे और देवड़ा के बीच इस पत्र को गोपनीय तरीके से मीडिया में लीक कर दिया गया यह मेरे साथ एक बड़ा धोखा था. उन्होंने कहा कि इस पत्र में मैंने कुछ ऐसे लोगों के बारे में बात की थी जिनकी वजह से पार्टी को हार नसीब हुई, लेकिन पार्टी की तरफ से उन लोगों पर किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं हुई.

उन्होंने अपने त्याग पत्र में लिखा कि मेरे पत्र के लीक मामले के बाद किसी ने भी माफी नहीं मांगी और पार्टी के किसी भी व्यक्ति के अंदर इसके लिए अफसोस की भावना नहीं थी. आपको बता दें कि उर्मिला ने हाल ही में जम्मू कश्मीर से केंद्र सरकार के अनुच्छेद 370 हटाने का भी विरोध किया था. उन्होंने कहा था कि कश्मीर में सरकार ने इंटरनेट और फोने सेवाएं बाधित कर रखी हैं जिससे मैं अपने पति और ससुराल वालों की खबर नहीं ले पा रही हूं.