अमेरिका से ज़ंग हुई तो कौन देगा ईरान का साथ?

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अमेरिका और ईरान के बीच की तनातनी ने मध्यपूर्व में एक और युद्ध की आशंका जगा दी है. कई लोग कयास लगा रहे हैं कि युद्ध की स्थिति में ईरान का साथ कौन देगा?

बेरुत में हिज्बुल्लाह के नेता ने ईरान की इस्लामिक क्रांति के 40 वर्ष पूरे होने पर एक बड़ी रैली में मजबूती से संदेश दिया कि अमेरिका से लड़ाई हुई तो ईरान अकेला नहीं होगा।

डी डब्ल्यू हिन्दी के अनुसार, हिज्बुल्लाह के नेता नसरल्लाह ने कहा, अगर अमेरिका ईरान से युद्ध छेड़ता है तो इस लड़ाई में ईरान अकेला नहीं होगा, क्योंकि हमारे इलाके का भविष्य इस्लामिक रिपब्लिक से जुड़ा है।

लेबनान से लेकर सीरिया, इराक, यमन और गजा पट्टी तक में ईरान ने बीते दशक में अपने लिए समर्थक जुटाए हैं। वह पूरे मध्य पूर्व के संघर्षरत इलाकों में अपने लिए सहयोगी बना रहा है और उनके साथ रिश्ते मजबूत कर रहा है।

खुद को “प्रतिरोध की धुरी” कहने वाले गुटों में हिज्बुल्लाह सबसे प्रमुख सदस्यों में है। इन हथियारबंद गुटों में दसियों हजार शिया लड़ाके हैं जो तेहरान के प्रति निष्ठा जताते हैं।

ईरान ने इन गुटों का इस्तेमाल पहले अपने इलाकाई दुश्मनों के खिलाफ हमलों में किया है। इस बात की पूरी आशंका है कि अमेरिका के साथ चल रहा तनाव अगर युद्ध की परिणति तक पहुंचता है तो वह इन लड़ाकों को एकजुट कर इनका इस्तेमाल करेगा।