अमेरिकी पाबंदीयों के बाद क्या टूटता जा रहा है ईरान?

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ईरान के कार उद्योग में 20 साल से ज्यादा काम कर चुके अलीरेजा ने बताया, मैं कुछ खरीदने के काबिल नहीं रहा और मेरी जिंदगी तनाव में घिर गई। मैं अब खुद को मध्यमवर्ग का नहीं मानता। यह भयावह स्थिति है।

ठीक एक साल पहले अमेरिका उस ऐतिहासिक समझौते से बाहर निकल गया जिसमें ईरान को राहत देने का वादा किया गया था। बदले में ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रम पर रोक लगाने का भरोसा दिया। 2015 में जब यह समझौता हुआ तब उम्मीद की गई थी कि तेहरान का दुनिया से आर्थिक अलगाव खत्म हो जाएगा।

डी डब्ल्यू हिन्दी पर छपी खबर के अनुसार, समझौते के बाद ईरान में निवेशकों की इतनी भीड़ उमड़ने लगी थी कि होटलों में उन्हें रखने की जगह नहीं थी। ईरान के राष्ट्रपति हसन रोहानी के मुताबिक ईरान को विदेशी बैंकों और कंपनियों के करीब 100 अरब डॉलर के निवेश से बड़ा फायदा होने जा रहा था।

42 साल के अलीरेजा कहते हैं, “जब समझौता चल रहा था तब बड़ी तेजी आ गई थी। हर तरफ लोगों को नौकरियों पर रखा जा रहा था और हमारे पास सिर खुजाने के लिए भी समय नहीं था। अली रेजा के मुताबिक 8 मई 2018 को जब अमेरिका इस समझौते से बाहर हुआ तो “सब कुछ उलट गया।

अलीरेजा कहते हैं कि कार बनाने वाली फ्रांसीसी कंपनी पीएसए ग्रुप में कई सालों तक अलग अलग पदों पर काम करने के बाद उनकी और सैकड़ों दूसरे लोगों की नौकरी बीते साल अगस्त में चली गई। अलीरेजा ने कहा, मैंने उसके बाद हर जगह नौकरी खोजने की कोशिश की लेकिन कोई सफलता नहीं मिली।