अयोध्या मामला- सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ मध्यस्थता रिपोर्ट पर आज कर सकती है चर्चा

   

अयोध्या विवाद पर सुनवाई करने वाली पांच न्यायाधीशों वाली पीठ इस मामले में सुनवाई पूरी करने के एक दिन बाद गुरुवार को चैंबर में बैठेगी। इस दौरान अयोध्या विवाद को सुलझाने के लिए गठित मध्यस्थता पैनल की रिपोर्ट पर चर्चा हो सकती है।

सूत्रों के अनुसार, सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एफएमआई कलीफुल्लाह की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित मध्यस्थता पैनल द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट पर चर्चा करने की संभावना है। श्रीराम पंचू और आध्यात्मिक नेता श्री श्री रविशंकर भी इस पैनल में शामिल हैं।

सूत्रों ने कहा कि यह स्पष्ट है कि पैनल अयोध्या भूमि विवाद पर मुकदमेबाजी में हिंदू और मुस्लिम पक्षों के बीच किसी तरह का समझौता कर चुका है।

मध्यस्थता में विश्वास के लिए धन्यवादरविशंकर

रविशंकर ने एक ट्वीट में कहा, “मैं सर्वोच्च न्यायालय का धन्यवाद करता हूं कि उन्होंने मध्यस्थता में जो विश्वास रखा है, उसके लिए मैं सभी पक्षों को उनकी ईमानदारी और अथक भागीदारी के लिए धन्यवाद देता हूं। पूरी मध्यस्थता प्रक्रिया भाईचारे और समझदारी के साथ हुई। इस देश के मूल्यों के लिए यह एक वसीयतनामा है।”

मध्यस्थता नाकाम होने के बाद शुरू हुई थी दैनिक सुनवाई

हालांकि राम लला विराजमान के वकील ने  शीर्ष अदालत में कहा था कि उन्होंने मध्यस्थता से हाथ खींच लिया है, और इसके बजाय मामले पर फैसला चाहते हैं। इस दौरान मध्यस्थता से मामले को सुलझाने में सफलता नहीं मिली। अदालत ने 6 अगस्त को मामले में दैनिक सुनवाई शुरू की थी।

मध्यस्थता की सामग्री को गोपनीयता बनाए रखने का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता रिपोर्ट की सामग्री में गोपनीयता बनाए रखने का आदेश दिया है। सूत्रों के अनुसार, यह संभावना है कि शीर्ष अदालत इस मध्यस्थता रिपोर्ट के आधार पर परामर्श दे सकती है।

40 दिन तक चली सुनवाई

सीजेआई रंजन गोगोई  की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सितंबर, 2010 के फैसले के खिलाफ दायर अपीलों पर 6 अगस्त से रोजाना 40 दिन तक सुनवाई की। इस दौरान विभिन्न पक्षों ने अपनी-अपनी दलीलें पेश कीं। संविधान पीठ ने इस मामले में सुनवाई पूरी करते हुए संबंधित पक्षों को ‘मोल्डिंग ऑफ रिलीफ’ (राहत में बदलाव) के मुद्दे पर लिखित दलील दाखिल करने के लिए तीन दिन का वक्त दिया। संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर भी शामिल हैं।