अयोध्या विवाद के लिए संविधान पीठ बनी, ये जज करेंगे मामले की सुनवाई

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सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में रामजन्म भूमि जमीन विवाद मामले की सुनवाई के लिए पांच सदस्यों की संविधान पीठ गठित की है जो गुरुवार को मामले की सुनवाई करेगी। शीर्ष कोर्ट ने यह अधिसूचना मंगलवार को जारी की।  इस नवगठित पीठ में पुरानी पीठ के कोई भी जज शामिल नहीं हैं। इससे पूर्व तीन सदस्यीय पीठ में तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और एस.ए. नजीर शामिल थे।

नई गठित पांच सदस्यीय पीठ में मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एस.ए. बोब्डे, एन.वी. रमण, यू.यू. ललित और डी.वाई. चंद्रचूड़ होंगे। मुख्य न्यायाधीश ने पिछली सुनवाई पर कहा था कि उचित पीठ इस मामले की 10 जनवरी को सुनवाई करेगी और आदेश पारित करेगी। यह मामला 2010 से सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।

ये जज करेंगे अयोध्या मामले की सुनवाई:-

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई
18 नवंबर 1954 को जन्म
1978 में इन्होंने बार काउंसिल की सदस्यता ग्रहण की। आपके वकालत का अधिकांश समय गुवाहाटी हाईकोर्ट में बीता।
28 फरवरी 2001 को गुवाहाटी हाईकोर्ट में स्थायी जज के तौर पर नियुक्ति।
9 सितंबर 2010 को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में स्थानांतरण।
12 फरवरी 2011 को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश नियुक्त।
23 अप्रैल 2012 को सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त।
03 अक्तूबर 2018 को देश के मुख्य न्यायाधीश नियुक्त।
15 नवंबर 2019 को सेवानिवृत्त होंगे।

न्यायमूर्ति शरद अरविंद बोब्डे
24 अप्रैल, 1956 को नागपुर में जन्म। नागपुर विश्वविद्यालय से बी.ए. और एलएलबी किया।
1978 में महाराष्ट्र बार काउंसिल के सदस्य बने।
21 वर्षों तक बंबई हाईकोर्ट, इसकी नागपुर पीठ और सुप्रीम कोर्ट में वकालत की।
1998 में वरिष्ठ अधिवक्ता बने।
29 मार्च 2000 बंबई हाईकोर्ट की पीठ में अतिरिक्त जज के रूप में नियुक्त।
16 अक्तूबर 2012 को मध्य हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश नियुक्त।
12 अप्रैल 2013 में सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश नियुक्त।
23 अप्रैल 2021 को सेवानिवृत्त होंगे।

न्यायमूर्ति एन.वी. रमण
27 अगस्त 1957 को आंध्र प्रदेश के पोन्नावरम, कृष्णा जिले में किसान परिवार में जन्म।
10 फरवरी, 1983 को एडवोकेट में रूप में आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में पंजीकृत। आंध्र प्रदेश और केंद्र के अनेक विभागों और ट्रिब्यूनल के लिए काम किया। आंध्र के अतिरिक्त एडवोकेट जनरल रहे।
27 जून 2000 को आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में स्थायी जज नियुक्त।
10 मार्च 2013 से 20 मई 2013 तक आंध्र हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रहे।
(अनेक  राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय विधि सम्मेलनों-सेमिनारों में कानूनी विषयों पर शोध पत्र)
02 सितंबर 2013 को दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के तौर पर प्रोन्नत।
17 फरवरी 2014 को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश नियुक्त।
26 अगस्त 2022 को सेवानिवृत्त होंगे।

न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित
09 नवंबर 1957 को महाराष्ट्र में जन्म।
जून 1983 में एडवोकेट के तौर पर पंजीकृत।
1985 दिसंबर तक बंबई हाईकोर्ट में वकालत की।
1986 जनवरी से दिल्ली में वकालत शुरू की।
2004 अप्रैल में सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता। कई पदों पर रहे।
13 अगस्त 2014 को सुप्रीम कोर्ट में जज नियुक्त।
08 नवंबर 2022 को सेवानिवृत्ति।

न्यायमूर्ति धनंजय यशवंत चंद्रचूड़
11 नवंबर 1959 को जन्म। नई दिल्ली के सेंट स्टेफंस कॉलेज से बी.ए., दिल्ली विश्वविद्यालय से एलएलबी।
हार्वर्ड लॉ स्कूल, अमेरिका से जूडिशियल साइंसेंज में एलएलएम और डॉक्टरेट।
दुनिया भर के विभिन्न विश्वविद्यालयों में व्याख्यान, विजिटिंड प्रोफेसर।
1998 जून से बंबई हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता के तौर पर वकालत।
1998 में अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल।
29 मार्च 2000 को बंबई हाईकोर्ट में जज नियुक्त।
31 अक्तूबर 2013 को इलाहाबाद हाईकोर्ट में मुख्य न्यायाधीश नियुक्त।
13 मई 2016 को सुप्रीम कोर्ट में जज नियुक्त।
10 नवंबर 2024 को सेवानिवृत्ति।