अरुंधति रॉय बोलीं – NPR के लिए नाम पूछें तो रंगा-बिल्ला बताएं और पता पीएम के घर का लिखवाएं

   

केंद्र सरकार एनआरसी और डिटेंशन कैंप के मुद्दे पर झूठ बोल रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी रामलीला मैदान में हुई रैली में इस विषय पर देश के सामने गलत तथ्य पेश किए। गुजरात में जो मोदी सरकार ने किया, वही उत्तर प्रदेश में योगी सरकार करने की तैयारी में है। ये बातें लेखिका व सामाजिक कार्यकर्ता अरुंधति रॉय ने कहीं।
छात्रों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि एनपीआर के लिए जब सरकारी कर्मचारी जानकारी मांगने आपके घर आएं तो उन्हें अपना नाम रंगा-बिल्ला बता दें। प्रधानमंत्री के घर का पता लिखवा दें। तल्ख अंदाज में केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए रॉय ने कहा कि पूर्वोत्तर राज्यों में बाढ़ के दौरान एक मां अपने बच्चों को बचाने से पहले नागरिकता के लिए दस्तावेज को बचाती है।

क्योंकि उसे मालूम है कि अगर कागज बाढ़ में बह गए तो फिर उसका रहना मुश्किल हो जाएगा। नोटबंदी ने अर्थव्यवस्था को बिगाड़ दिया। अब सीएए व एनआरसी संविधान को खत्म करने की तैयारी हैं। सभी छात्र संगठन को एकत्रित होकर यह लड़ाई लड़नी होगी। खुशी की बात है कि इस लड़ाई में छात्राएं भी कूद पड़ी हैं। जामिया के छात्रों ने मिसाल कायम की है।

रॉय नागरिकता संशोधन कानून, एनआरसी और नेशनल जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के विरोध में दिल्ली विश्वविद्यालय में पहुंचे विभिन्न विश्वविद्यालयों के विद्यार्थियों के बीच एकजुटता दिखाने पहुंची थीं। विरोध-प्रदर्शन में फिल्म अभिनेता जीशान अयूब और अर्थशास्री अरुण कुमार भी नार्थ कैंपस पहुंचे।

इस मौके पर अरुंधति रॉय ने कहा कि छात्र जब सरकार के खिलाफ अपनी आवाज उठाते हैं तो उन्हें अर्बन नक्सल कहा जाता है। मुसलमान विरोध करते हैं तो आतंकवादी कह दिया जाता है। रॉय ने छात्रों से कहा कि एनपीआर भी एनआरसी का ही हिस्सा है।

फिल्म कलाकार जीशान अयूब ने कहा कि सरकार के सबसे बड़े दुश्मन छात्र व यूनिवर्सिटी हैं। उन्हें लाइब्रेरी से नफरत है। डर इस बात का है कि अगर कोई पढ़-लिख गया तो सवाल पूछेगा। यह लड़ाई हमें जारी रखनी होगी। छात्र की ताकत बड़ी होती है। भाजपा पर तंज कसते हुए कहा कि ऐसा कम ही देखने को मिलता है कि कोई कानून पास हुआ हो और इसके समर्थन में प्रोटेस्ट किया जा रहा हो।

इससे साफ जाहिर है कि सरकार डरी हुई है। जेएनयू में 30 साल तक प्रोफेसर रहे अर्थशास्त्री अरुण कुमार ने छात्रों से कहा कि वे केंद्र की सरकार से शिक्षा व रोजगार को लेकर प्रश्न पूछें। देश की अर्थव्यवस्था बुरी तरह लड़खड़ा चुकी है। इसी तथ्य को छुपाने के लिए ऐसे कानून लाए जा रहे हैं ताकि जनता प्रश्न ही नहीं करें।